मनोवांछित सिद्धियां देने वाला है महाशिवरात्रि पर्व : पं. ज्योतिप्रकाश श्रीमाली








बीकानेर, 27 फरवरी (सीके न्यूज, छोटीकाशी)। तंत्र, मंत्र, यंत्र व भक्ति के माध्यम से हर भक्त देवाधिदेव महादेव व मां पार्वती को प्रसन्न करने का प्रयास करता है। फाल्गुन मास की कृष्णा चतुर्दशी के दिन रात्रि व्यापिनी चतुर्दशी को यह व्रत रखना चाहिए। इस बार 1 मार्च 2022 को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। संभाग मुख्यालय के जाने-माने ज्योतिषाचार्य पं. ज्योतिप्रकाश श्रीमाली बताते हैं कि व्रत वाले दिन सवेरे उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर मानसिक संकल्प से व्रत धारण करें। सामथ्र्य अनुसार निराहार, दुग्धाहार, फलाहार के साथ व्रत रखें। रात्रि में किसी शिव मन्दिर में या अपने ही घर में पूजन सामग्री पास में रखकर ब्राह्मण के मन्त्रोच्चार के साथ या स्वयंम मंत्रोच्चार से शिव पूजन करे। पं. श्रीमाली ने बताया कि सम्पूर्ण पूजा रात्रि में चार प्रहर होती है। 


इन चार प्रहर में पूजा का महात्म्य..


प्रथम प्रहर-प्रथम प्रहर में गौरी गणेश पूजन के बाद नंदी कुबेर कार्तिकेय कीर्तिमुख व सर्प पूजन के बाद रुद्राष्टाध्यायी से महादेव के ईशान अवतार का पूजन करे संकल्पपूर्वक करनी चाहिए। यदि शिवभक्त को पंडित नही मिलता है तो प्रथम प्रहर में 'ह्रौं ईशानाय नम:' का जप करते हुए अभिषेक करें। तिल चावल मूंग का विशेष महत्व है साथ ही हलवे का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा नारियल का जल के साथ विशेष अघ्र्य में उपयोग करे।

द्वितीय प्रहर- द्वितीय प्रहर में महादेव के अघोर अवतार का पूजन करे और 'ह्रौं अघोराय नम:' का जाप करें साथ ही तिल, जौ व क्षीर का नैवेद्य अर्पण करें। सजल दक्षिणा बिजोरा नींबू के साथ विशेष अर्घ्य देवें।

तृतीय प्रहर- तृतीय प्रहर में महानिशा पूजन करना चाहिए और 'ह्रौं वामदेवाय नम:' का जप करें साथ ही अक्षत गेंहू मालपुआ का नैवेद्य अर्पण करें। दरिद्रता नाश की कामना करते हुए जल में दक्षिणा डालकर अनार के साथ विशेष अर्घ्य देवे।

चतुर्थ प्रहर पूजन : चतुर्थ प्रहर पूजन में 'ह्रौं सद्योजाताय नम:' का जाप करते हुए पेठे व इमरती का नैवेद्य अर्पित करे। विशेष अर्घ्य के पात्र में जल दक्षिणा व केला डालकर विशेष अघ्र्यं देवे। हो सके तो शिव अंग पूजन व आवरण पूजन करें।


भिन्न-भिन्न मनोकामना पूर्ति के लिए भिन्न भिन्न द्रव्यों से अभिषेक करना चाहिए...


ज्वर (बुखार, प्रकोप शान्ति, वृष्टि (वर्षा) करवाने के लिए जल से अभिषेक करना चाहिए।

दूध से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति, प्रमेह (मधुमेह) रोग मिटाना व मान-प्रतिष्ठा, यश प्राप्ति होती है। 

पशु प्राप्तर्थ, उनके सरक्षर्णाथ कान्ति प्राप्ति के लिए दही से अभिषेक किया जाता है।

धन, सम्पति प्राप्ति, वंश वृद्धि, स्वास्थ्य हेतु घी का अभिषेक करना चाहिए।

अचल सम्पत्ति प्राप्ति के लिए शहद से अभिषेक करना चाहिए।

लक्ष्मी प्राप्ति, यश प्रतिष्ठा व पत्नि प्राप्ति के लिए इक्षुरस (गन्ने का रस) से अभिषेक करना चाहिए।