बीकानेर में पवन व्यास ने किया विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी बांधने का दावा




बीकानेर, 16 दिसम्बर (छोटीकाशी)। अपनी संस्कृति तथा प्राकृतिक विविधता के लिए पूरे देश में राजस्थान एक जाना-पहचाना नाम है। राज्य में समाज के कुछ वर्गों में से कई लोग पगड़ी पहनते हैं, जिसे स्थानीय रूप से साफा, पाग या पगड़ी कहा जाता है। पगड़ी राजस्थान के पहनावे का अभिन्न अंग है। बड़ो के सामने खुले सिर जाना अशुभ माना जाता है। यह लगभग 18 गज लंबे और 9 इंच चौड़े अच्छे रंग का कपड़े के दोनों सिरों पर व्यापक कड़ाई की गई एक पट्टी होती है, जिसे सलीके से सिर पर लपेट कर पहना जाता है। पगड़ी सिर के चारों ओर विभिन्न व विशिष्ट शैलियों में बाँधी जाती है तथा ये शैलियां विभिन्न जातियों और विभिन्न अवसरों के अनुसार अलग-अलग होती है। अंगुलीयों पर सबसे छोटी राजस्थानी पाग-पगड़ीयां बांध कर न केवल बीकानेर बल्कि राजस्थान का नाम रोशन कर चुके स्थानीय कलाकार पवन व्यास ने बुधवार को एक विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी बांधने का दावा किया है। उन्होंने धरणीधर रंग मंच पर सुबह 11 बज कर 11 मिनट एवं 11 सैकंड पर यह पगड़ी मिस्टर राजस्थान का खिताब जीत चुके राहुल शंकर थानवी के सर पर बांधना शुरू किया जो कि महज 30 मिनट में 55 साफों को मिलाकर 2 फीट चौड़ी एवं 2 फीट लंबी पगड़ी बाँध डाली। एक साफे की लंबाई लगभग 8.7 मीटर तथा पगड़ी का वजन 15 से 20 किलो था साथ ही इस पगड़ी में किसी भी प्रकार की पिन एवं गुल्यू का प्रयोग नहीं किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ लोकेश व्यास द्वारा शंखनाद के साथ गणेश वंदना से हुवा। पवन व्यास ने अपनी इस कला का श्रेय अपने गुरूपिता पं. ब्रजेश्वर लाल व्यास व चाचा गणेश लाल व्यास को दिया। कीकाणी चौक स्थित व्यास परिवार पिछले 4 दशक से अधिक समय से समाज में साफा बांधने का कार्य कर रहा है। व्यास ने बताया कि वह आदमीयों के सर पर तो साफा बांधते ही है साथ में गणगौर महोत्सव में ईसर व भाये के लिए, श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर लड्डू गोपाल के व विभिन्न अवसरों पर विभिन्न प्रकार के साफे बांधते है।