बीकानेर, 21 दिसम्बर (छोटीकाशी डॉट पेज)। देश में अस्थमा के 37.9 मिलियन मामले हैं लेकिन देश में इतनी अधिक संख्या में मरीज होने के बावजूद अस्थमा से सबसे कारगर उपचार इनहेलर का उपयोग असामान्य रुप से कम किया जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में इन्हेलर थेरेपी का उपयोग करने वाले रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है। इनहेलर्स के बारे में जागरूकता और शिक्षा बढ़ी है। यह जानकारी बेरोक जिंदगी कैंपेन के तीसरे अध्याय 'अस्थमा के लिए इनहेलर है सही' के आयुष्मान खुराना द्वारा लांच के दौरान वक्ताओं ने कही। पीबीएम अस्पताल के एमडी चेस्ट डॉ. राजेंद्र सोगत, आशीर्वाद नर्सिंग होम के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव गोम्बर सहित अनेक ने अपनी बात कही। डॉ. सोगत ने कहा कि 'इन्हलेशन थेरेपी से जुडी सामान्य धारणा को रोगी के दिमाग में बदलने की जरूरत है। इनहेलर्स से जुड़े मिथक हैं 'हाई डोज, दुष्प्रभाव और इसकी आदत हो जाना। हालाँकि, ये सिर्फ भ्रम हैं। मैं उचित परामर्श और शिक्षा के साथ अपने रोगियों को लगभग 90 प्रतिशत इन्हलेशन थेरेपी की सलाह देता हूं। बढ़ते प्रदूषण के स्तर, भीड़भाड़, वर्तमान समय में कोरोना महामारी आदि के कारण अस्थमा के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, इनहेलर्स अस्थमा के लिए सबसे अधिक प्रचलित इलाज है। साँस के जरिए ली जाने वाली दवाई ज्यादा प्रभावी इसलिए होती है क्योंकि ये सीधे परेशानी की जगह पर जाकर काम करती है। इसके बारे में उचित मार्गदर्शन और शिक्षा की आवश्यकता है, यही कारण है कि इस प्रकार की पहल महत्वपूर्ण हैं। डॉ. गौरव गोम्बर ने कहा कि अस्थमा और इसके सही इलाज के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव है। हालाँकि, पिछले एक दशक में इन्हलेशन थेरेपी की स्वीकार्यता में बहुत सुधार हुआ है, फिर भी लोग इनहेलेशन थेरेपी के फायदों से अनजान हैं और अभी भी उन्हें लगता है कि इनहेलर्स की आदत हो जाती है या मरीज इन पर निर्भर हो जाता है।
अस्थमा रोगियों की उपेक्षा न करें
डॉ. गौरव गोम्बर ने कहा कि बीकानेर में अस्थमा के बढ़ते मामलों के कारणों में वायु प्रदूषण में वृद्धि, पराग, धूम्रपान, भोजन से जुडी गलत आदतें, पोषण की कमी, वंशानुगत गड़बड़ी शामिल हैं। अपने स्वास्थ्य और विशेष रूप से अस्थमा के रोगियों की उपेक्षा न करें। अस्थमा से जुडी सामान्य अवधारणा को बदलना बहुत महत्वपूर्ण है और खासकर सार्वजनिक रूप से इन्हेलर्स के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। आज भी, लोग भ्रांतियों के डर से थेरेपी का उपयोग करने में संकोच करते हैं। जबकि इन्हलेशन ट्रीटमेंट लोगों के जीवन पर अस्थमा के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इनहेलर के जरिए दवा लेने पर यह रक्तप्रवाह और शरीर के अन्य अंगों से होकर गुजरने के बजाय सीधे फेफड़ों तक पहुँच कर अपना काम करती है। यही कारण है कि दवा की कम खुराक ही काफी होती है इसलिए इसके दुष्प्रभाव भी कम होते हैं। यह वास्तव में, अस्थमा रोगियों के लिए सबसे सुरक्षित उपचार विकल्प है। इस बारे में लोगों को जागरूक करना और उन्हें सही जानकारी देना बेहद जरुरी है क्योंकि कई बार लोग इलाज के बीच में ही इन्हलेशन थेरेपी लेना बंद कर देते हैं, जिससे बीमारी को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है।