आरंभ होंगे शुभ कार्य, नवरात्रारंभ के साथ सत्ता में होगी उथल-पुथल, पड़ोसी देशों से युद्ध की संभावना
जयपुर। नवरात्र 2020 का आरंभ 17 अक्टूबर से होने जा रहा है। जबकि आमतौर पर पितृपक्ष के समाप्त होते ही अगले दिन से नवरात्र का आरंभ हो जाता है। लेकिन अबकी बार अधिमास ने पितृपक्ष और नवरात्र के बीच एक महीने का अंतर ला दिया है। इस वजह से माता के भक्तों को माता की अगवानी के लिए पूरे एक महीने का इंतजार पड़ा। ज्योतिषशास्त्र और देवीभाग्वत पुराण के अनुसार मां दुर्गा का आगमन भविष्य में होने वाली घटनाओं का भी संकेत देता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक, ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा की उपासना का उत्सव है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ अलग-अलग रूप की पूजा-आराधना की जाती है। एक वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं चैत्र, आषाढ़, माघ और शारदीय नवरात्र। इनमें चैत्र और अश्विन यानि शारदीय नवरात्रि को ही मुख्य माना गया है। इसके अलावा आषाढ़ और माघ गुप्त नवरात्रि होती है। शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है। शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। ऐसे में इस बार नवरात्र 2020 का आरंभ 17 अक्टूबर से होने जा रहा है। इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा जबकि देवी मां प्रस्थान हाथी पर करेंगी।
देवी मां दुर्गा के वाहन का प्रभाव..
यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है। लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं। विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि देवीभाग्वत पुराण में जिक्र किया गया है कि शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है। अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी कलश स्थापना हो तब माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं। बुधवार के दिन नवरात्र पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं। नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है। ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है।
घोड़े पर सवार होकर आयेगी
अबकी शारदीय नवरात्र का आरंभ शनिवार को हो रहा है। इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा जबकि देवी मां प्रस्थान हाथी पर करेंगी। विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास के अनुसार इस वर्ष देवी अश्व पर आ रही हैं जो कि युद्ध का प्रतीक होता है। इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है। सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। किन्तु जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी। इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की आराधना करें, व्रत करें एवं मां को प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करें।
सत्ता में होगी उथल-पुथल..
अबकी शारदीय नवरात्र का आरंभ शनिवार को हो रहा है। ऐसे में देवीभाग्वत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार माता का वाहन अश्व होगा। विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि अश्व पर माता का आगमन छत्र भंग, पड़ोसी देशों से युद्ध, आंधी तूफान लाने वाला होता है। ऐसे में आने वाले साल में कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल हो सकता है। सरकार को किसी बात से जन विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। कृषि के मामले में आने वाला साल सामान्य रहेगा। देश के कई भागों में कम वर्षा होने से कृषि की हानि और किसानों को परेशानी होगी।
आरंभ हो जाएंगे शुभ कार्य..
नवरात्रि का पर्व आरंभ होते ही शुभ कार्यों की भी शुरूआत हो जाएगी। अधिमास में शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है। मलमास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। लेकिन नवरात्रि आरंभ होते ही नई वस्तुओं की खरीद, मुंडन कार्य, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। लेकिन शादी विवाह देवउठनी एकादशी तिथि के बाद ही आरंभ होंगे। नवरात्रि में देरी के कारण इस बार दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त..
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास के अनुसार नवरात्रि का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होगा, जो 17 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में, चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे। नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात: 6 बजकर 23 मिनट से प्रात: 10 बजकर 12 मिनट तक है। घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 से 12:29 तक रहेगा।
शारदीय नवरात्रि की तिथियां..
17 अक्टूबर 2020 (शनिवार) - प्रतिपदा घटस्थापना
18 अक्टूबर 2020 (रविवार) - द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर 2020 (सोमवार) - तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार) - चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर 2020 (बुधवार) - पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार) - षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार) - सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर 2020 (शनिवार) - अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा दुर्गा महा अष्टमी पूजा
25 अक्टूबर 2020 (रविवार) - नवमी माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा विजयदशमी या दशहरा.