आयुर्वेद कोई चिकित्सा पद्धति नहीं बल्कि वेद ही है, असाध्य रोगों को जड़ से मिटाकर कर रहे मानव सेवा
बीकानेर (छोटीकाशी डॉट पेज)। जिन परिस्थितियों में हमारा मानव समाज रह रहा है उन परिस्थितियों में आवश्यकता है कि आयुर्वेद को अपनाएं। आयुर्वेद कोई चिकित्सा पद्धति नहीं बल्कि यह व्यक्ति की आयु वृद्धि का ही वेद है और वेद में सब कुछ समाहित है। यह कहना है स्वामीश्री चिन्मय यूएसए सरस्वतीजी का। राजस्थान के बीकानेर संभाग मुख्यालय में भीनाशहर गोचर भूमि में श्री सनातन ज्योति पीठ के माध्यम से वे बीते अनेक वर्षों से आयुर्वेदिक दवाओं के द्वारा मानव सेवा में लोगों के असाध्य रोगों का निशुल्क इलाज कर रहे हैं। वे बताते हैं आयुर्वेद का सीधा सा अर्थ है हमारी आयु को बढ़ाना, मगर आज के मानव जीवन की जो एप्रोच है अर्थात शैली है वह आयु को क्षीण करने वाली बनी हुई है। स्वस्थ भारत-जागरूक भारत की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से विगत 10 वर्ष से अपने सन्यासी जीवन में सेवा, धर्म, प्रभु भक्ति व आध्यात्मिकता के साथ भागदौड़ भरे शहरी क्षेत्र से दूर वे प्रकृति के करीब रहते हैं।