बेंगलुरु। यहां किलारी रोड स्थित गुरु राजेन्द्र भवन में अखिल भारतीय राजेंद्र जैन नवयुवक परिषद बेंगलुरु ने साध्वी रत्नत्रयाश्रीजी, साध्वी तत्वत्रयाश्रीजी एवं साध्वी गोयमरत्नाश्रीजी आदि के दर्शन वंदन किये। इस अवसर पर साध्वी रत्नत्रयाश्रीजी ने प्रार्थना से प्रवचन का शुभारंभ किया। उन्होंने पुण्य की अनुमोदना की सीख देते हुए कहा कि जीवन मे पुण्य कमाना चाहिए। मनुष्य के हर कार्य की अनुमोदना करने से पुण्य बढता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने शालीभद्र के पुण्य का उदाहरण देते हुए यह भी कहा कि पुण्य चार प्रकार के होते हैं। मन का पुण्य, वचन का पुण्य, काया पुण्य एवं नमस्कार पुण्य। साध्वीजी ने कहा कि सब इधर ही रहेगा, साथ में कुछ भी नहीं जाएगा। उनके अनुसार जहां दवा काम नहीं करती है वहां दुआ काम करती है। साध्वीश्री ने बेंगलुरु परिषद की प्रशंसा करते हुए कहा कि परिषद द्वारा किए जा रहे कार्य गुरु गच्छ की महिमा बढ़ा रहै हैं। परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रकाश हिराणी ने कहा, यह चातुर्मास धर्ममय, तपमय व आराधनमय हो रहा है। इस चातुर्मास में कई अनुष्ठान हुए। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर परिषद की जानकारी दी। परिषद के बेंगलूरु अध्यक्ष डूंगरमल चोपड़ा ने बताया कि परिषद का गठन 19 मार्च 1974 को राजेन्द्र सुरी ज्ञान मन्दिर बीवीके आएंगर रोड में हुआ। इसमें अध्यक्ष छोगालाल संघवी, उपाध्यक्ष घेवरचंद भंसाली, मंत्री तगराज हिराणी, सह मंत्री भंवरलाल चोपड़ा, कोषाध्यक्ष ओटमल के साथ 21 कार्यकारिणी सदस्यों के साथ हुआ। परिषद ने गोशाला में गायों की सेवा, मानव सेवा, कोरोना काल के दौरान पक्षियों को दाना, जरूरतमंदों की सेवा, पौधरोपण तथा अनेक कार्य हाथ में लिए, जिन्हें परिषद के सदस्यों ने परस्पर सहयोग से पूरा किया। इस दौरान अखिल भारतीय राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश हिराणी, दक्षिण प्रांतीय अध्यक्ष बाबूलाल सवाणी, पूर्व अध्यक्ष नेमीचंद वेदमूथा, धर्मप्रचार मंत्री मांगीलाल वेदमूथा, बेंगलूरु शाखा के अध्यक्ष डूंगरमल चोपड़ा, उपाध्यक्ष हेमराज जैन, मंत्री नेमीचंद संघवी, सहमंत्री दिलीप कांकरिया, कोषाध्यक्ष रमेश मयूर सदस्य त्रिलोक भंडारी, रिखब सोलंकी, विजयराज फोलामूथा, चम्पालाल निमानी, देवीचंद गांधीमूथा, प्रकाश बालर, चम्पालाल कांकरिया, लेखराज दोसी, अशोक, हनुमान कांकरिया तथा राजेन्द्र भवन ट्रस्टी मेघराज भंसाली आदि ने साध्वीवृन्द के दर्शन किए। राजेन्द्र भवन के ट्रस्टी एवं चातुर्मास समिति के कई सदस्य भी उपस्थित थे। संचालन मांगीलाल वेदमूथा ने किया।
अनुमोदना करने से भी पुण्य मिलता है : साध्वी रत्नत्रयाश्रीजी