उत्तर पश्चिम रेलवे पर पहली बार सबसे शक्तिशाली विद्युत लोकोमोटिव (इंजन) दौड़ा


 


 


12 हज़ार होर्स पावर क्षमता का WAG - 12B विद्युत लोकोमोटिव फुलेरा स्टेशन पहुंचा


 


जयपुर, 25 जुलाई (छोटीकाशी डॉट पेज)। उत्तर पश्चिम रेलवे में पहली बार भारत निर्मित सबसे शक्तिशाली मालवाहक इंजन WAG - 12B दौड़ा । शुक्रवार को यह इंजन दिल्ली मंडल के पाटली स्टेशन से जयपुर मंडल के रेवाड़ी स्टेशन पर पहुंचा और जयपुर मंडल के विद्युतीकृत खंड में रेवाड़ी से रींगस होते हुए मालगाड़ी को लेकर शुक्रवार/शनिवार रात 02:50 पर फुलेरा स्टेशन पहुंचा । वरिष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी ने बताया कि  उत्तर पश्चिम रेलवे में पहली बार  12000 हॉर्स पावर क्षमता लोकोमोटिव (इंजन) के द्वारा मालगाड़ियों का संचालन किया जायेगा , जोकि भारत में निर्मित अब तक का सर्वाधिक क्षमता का लोकोमोटिव है। इस  लोकोमोटिव का उत्पादन मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री तथा ALSTOM प्राइवेट लिमिटेड के संयुक्त प्रयास से किया गया है। इस इंजन के साथ भारत 10 हज़ार से ज्यादा होर्स पावर वाले इंजन उत्पादन की तकनीक वाला दुनिया का 6ठा  देश बन गया हैं। इस इंजन की मालवाहक क्षमता पूर्ववर्ती WAG-9 से दोगुनी है। इस लोकोमोटिव को 100 kmph सामान्य गति व 120 kmph गति से अपग्रेड करके चलाया जा सकता है।   इस प्रकार की उच्च हॉर्स पावर के लोकोमोटिव भारतीय रेलवे में माल गाड़ियों की  औसत गति  तथा भारवाहक  क्षमता को बढ़ाने में सहायक होंगे। WAG12B लोकोमोटिव एक 3 फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव है, जिसमें ऊर्जा संरक्षण हेतु रिजेनरेटिव ब्रैकिंग प्रणाली का उपयोग किया गया है। इस लोकोमोटिव की लम्बाई 35 मीटर हैं एवं इसमे 1000 लीटर हाई कंप्रेसर कैपेसिटी के 2 MR टैंक लगाए गए है , जो लॉन्ग हॉल लोड को भी सुगमता से चलाने में सक्षम है। इस लोकोमोटिव के  कैब का  डिज़ाइन  अत्याधुनिक  है एवं इसे  कार्य दक्षता को संज्ञान में रखते हुए लोको पायलट के लिए काफी सुविधाजनक बनाया गया है। यह लोकोमोटिव पूर्णत वातानुकूलित है  एवं केंद्रीकृत न्युमेटिक पैनल लगाया गया है।  इस लोकोमोटिव की विश्वसनीयता अधिक है , क्योंकि यह लोकोमोटिव 2 लोकोमोटिव (एक मास्टर लोको एवं एक स्लेव लोको) से मिलकर बना है।  मास्टर लोको में किसी तरह की खराबी की परिस्थिति में स्लेव लोको की पावर से कार्य किया जा सकता है जिससे  लोकोमोटिव बदलने की आवयकता नही पडती है। ग्रेडीयंट (चढाई वाले) सेक्शनों में इसकी भारवाहक क्षमता उच्च स्तरीय है। 1:150 के ग्रेडीयंट पर 6000 टन लोड बगैर बैंकर लोको लगाये मालगाडी चलायी जा सकती है। दोनो लोको (मास्टर एवं स्लेव लोको) में जाने के लिए अन्दर से ही रास्ता बनाया गया है, जिससे लोको पायलट को लोकोमोटिव(इंजन) से नीचे नही उतरना पड़ता है, जिससे ट्रबल शूटिंग में लोको पायलट को सुगमता रहती है। लोकोमोटिव का डिजाइन इस प्रकार से किया गया है कि केब से ही लोकोपायलट सभी ऑपरेशन कर सकता है व किसी प्रकार का फाल्ट आने पर ट्रबल शूटिंग केब में ही बैठकर किया जा सकता है। एक लोको केब से दूसरा लोको आइसोलेट (बंद/ न्यूट्रल) किया जा सकता है। लोड कम होने की दशा में एक लोको को आइसोलेट कर एक लोको से ही कार्य किया जा सकता है। लोकोमोटिव का ट्रॅक्टिव एफर्ट 706 किलो न्यूटन है जो कि उच्च होने के कारण स्टालिंग होने की संभावना कम रहती है।