जो स्थिति आती है उसका जाना भी निश्चित है : राष्ट्रसंत डॉक्टर वसंत विजय जी म.सा.


कृष्णगिरी तीर्थ धाम में हुआ संगीतमय भक्ति कार्यक्रम, फेसबुक लाइव से जुड़े देश-दुनिया के हजारों भक्त


कृष्णगिरी। तमिलनाडु प्रांत के विश्वविख्यात श्रीपार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ धाम में पीठाधीपति, राष्ट्रसंत व यतिवर्य डॉ वसंत विजय जी महाराज साहेब की पावन निश्रा में संगीतमय भक्ति का कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसका सीधा प्रसारण फेसबुक एवं यूट्यूब चेनल के माध्यम से हुआ। देश और दुनिया के बड़ी संख्या में हजारों गुरु भक्तों ने मां पद्मावती एवं भैरव भक्ति के इस आयोजन का लाभ लिया। इस अवसर पर राष्ट्रसंतश्रीजी ने अपने संदेश में कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि "शरीर माध्यं खलु धर्म साधनम्.." अर्थात धर्म रूपी साध्य को पाने का मानव शरीर ही सबसे बड़ा साधन है। इस युक्ति से मानव शरीर की दुर्लभता का पता चलता है। उन्होंने कहा, मानव शरीर ईश्वर की सर्वोत्तम कृति है। इसलिए कोई भी धार्मिक व्यक्ति इसे क्षति पहुंचाने का कार्य नहीं कर सकता है। यह एक सामान्य नियम है। वह बोले मानवता का दुश्मन परमात्मा का कभी भी प्रिय नहीं हो सकता है। वैश्विक महामारी कोरोना जिस प्रकार महा व्याधि बनकर देश और दुनिया पर मंडरा रही है जोकि औषधि रूपी हथियार के अभाव में अपराजेय सी है। ऐसे में जब कोई उपाय न हो तो धैर्य और प्रभु भक्ति ही काम आती है। भारत वासियों ने इस महाव्याधि को अपने धैर्य और अनुशासन से असर हीन किया है। जिसे आज समूचे विश्व में आदर की दृष्टि से देखा जा रहा है। राष्ट्रसंतश्रीजी ने कहा कि हमारे यहां रोग आगंतुक है, विकार है जबकि स्वास्थ्य हमारी आत्मा है और आत्म प्रदीप की वायु से रक्षा करना साधक का तप है। डॉ वसंत विजय जी महाराज साहब ने इस आपातकाल में समस्त देशवासियों से आह्वान करते हुए यह भी कहा कि इस महारोग से उत्पन्न विपत्ति का सामना करते हुए सामर्थ्य के अनुसार विपन्न लोगों की मदद को जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समस्या मानसिक रूप से एकजुट होकर व शारीरिक रूप से दूरी बनाकर ही भगाई जा सकेगी। ऐसे में सरकारी दिशा निर्देशों की पालना प्रत्येक नागरिक को करनी चाहिए, क्योंकि जो स्थिति आती है, उसका जाना भी निश्चित है। ऐसे में देशवासियों को धैर्य रखना चाहिए। यह स्थिति अनंत काल तक नहीं चलेगी। इसका भी अंत सुनिश्चित है। कार्यक्रम में राष्ट्रसंतश्रीजी ने ..थारा टाबरिया जोवे बाट पधारो म्हारा माताजी, ..रोज-रोज नहीं आना मौका, ..गले से लगा ले बदनसीब को-खोल दे तू मेरे भी नसीब को, ..जपो नवकार सहित अनेक भजनों की प्रस्तुतियां दी। इस अवसर साध्वीश्री विद्युतप्रभाजी आदि ठाना भी मौजूद रहे। गुरु भक्त संकेश जैन ने सभी का आभार ज्ञापित किया।