हमें देशी नस्लों को बढ़ावा देना होगा : डा. बी.एन.त्रिपाठी
सीके न्यूज/छोटीकाशी। बीकानेर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के पशु विज्ञान उप महानिदेशक डॉ. बी.एन.त्रिपाठी ने कहा कि आजादी के बाद से पशु उत्पादन के क्षेत्र में सराहनीय प्रगति की है तथा वैश्विक स्तर पर दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान हासिल किया है, लेकिन अभी भी औसत दुग्ध उत्पादन में अपार संभावनाएं हैं जिसके लिए हमें देशी नस्लों को बढ़ावा देना होगा। साथ ही हमें पशुपालन के पारंपरिक तौर तरीकों को विज्ञान की नवीन प्रौद्योगिकी से जोड़ते हुए संतुलित उत्पादन प्राप्ति पर जोर देना होगा, जिसके लिए पशुपालन को एक स्वास्थ्य अवधारणा से जोडऩा होगा। शुष्क पशुपालन एवं एक स्वास्थ्य अवधारणा : चुनौतियां एवं अवसर विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में उन्होंने उष्ट्र संरक्षण एवं विकास हेतु एनआरसीसी द्वारा किए जा रहे नवाचारी प्रयासों की भूरि.भूरि प्रशंसा की तथा वैज्ञानिकों को बड़ा सोचने, बड़े सपने देखने तथा बड़ा करने हेतु प्रोत्साहित करते हुए बदलते परिवेश में उष्ट्र पालन विकास हेतु सामयिक प्रयासों की महत्ती आवश्यकता जताई। केन्द्र निदेशक एवं संगोष्ठी के संयोजक डॉ आर्तबन्धु साहू ने एनआरसीसी की अनुसंधान गतिविधियों एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला तथा उष्ट्र विकास एवं संरक्षण हेतु किए जा रहे केन्द्र के अद्यतन प्रयासों की जानकारी दीं। डॉ साहू ने कहा कि बदलते परिवेश में ऊंटपालन व्यवसाय को आगे बढ़ाने हेतु केन्द्र, ऊंट के विविध पहलुओं यथा-दूध, पर्यटन, ऊन, चमड़ी, खाद आदि के क्षेत्र में सतत प्रयत्नशील है साथ ही संस्थान, पशु एवं इससे जुड़े समुदायों के स्वास्थ्य, विविध पशुजन्य रोगों, समन्वित पशुपालन आदि पहलुओं संबंधी जागरूकता बढ़ाने हेतु कार्यरत है। आमंत्रित अतिथि वक्ता डॉ हेमन्त दाधीच, निदेशक अनुसंधान, राजुवास, बीकानेर, डॉ यशपाल, निदेशक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार ने भी विचार रखे। कार्यक्रम के अंत में संगोष्ठी समन्वयक डॉ आर.के.सावल, प्रधान वैज्ञानिक ने सभी के प्रति धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। इस अवसर पर ऊंटनी के दूध से बने नूतन उत्पादों को जारी किया गया जिनमें मिल्क काजू पेड़ा, मिल्क कैमल घी, मिल्क कैमल बटर शामिल रहे।