कृष्णगिरी में दुर्लभ लक्ष्मी कवच के साथ अष्ट महालक्ष्मी पूजन विधान सम्पन्न












-53 वें अवतरण दिवस पर राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजय जी म.सा. की निश्रा में 530 जोड़ों ने किया सामूहिक लक्ष्मीपूजन महाविधान


-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शामिल हुए गुरुभक्तों को प्रदान किया गया अष्टलक्ष्मी यंत्र, थॉटयोगा पर हुआ लाईव


कृष्णगिरी। माता लक्ष्मीजी का 108 किलो दूध से अभिषेक, विविध प्रकार के पुष्प, नैवेद्य, फल एवं 16 शृंगार का अर्पण तथा साथ ही विधिपूर्वक पूजन, अनुष्ठान का अतिदिव्य अलौकिक कार्यक्रम गुरुवार को श्री पार्श्वपद्मावती शक्तिपीठ धाम में हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। तीर्थधाम के शक्ति पीठाधिपति, मंत्र शिरोमणि, सिद्धि सम्राट, आध्यात्मयोगी, राष्ट्रसंत परम पूज्य गुरुदेवश्रीजी डॉ. वसंतविजयजी म.सा. के 53 वें अवतरण दिवस पर आयोजित भक्त कल्याण महोत्सव के तहत यह अतिदिव्य महाचमत्कारिक कार्यक्रम हुआ। पूज्य गुरुदेवश्रीजी की निश्रा में आयोजित इस कार्यक्रम में भारत के 27 राज्यों व 6 विभिन्न देशों से आए हजारों श्रद्धावान गुरुभक्तों को नि:शुल्क पूजा वस्त्र एवं अभिमंत्रित गोल्ड प्लेटेड सिद्ध अष्टलक्ष्मी यंत्र प्रदान किया गया। इस दौरान राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने शास्त्रोक्त दुर्लभ लक्ष्मी कवच का वाचन करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वभर में मां लक्ष्मी के उपासक तो बहुत है, मगर इस प्रकार का कार्यक्रम कहीं संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मी कवच पाठ के श्रवण मात्र से व्यक्ति की समृद्धि के द्वार हमेशा के लिए खुल जाते हैं। पूज्य गुरुदेवश्रीजी बोले कि व्यक्ति को मन में किसी प्रकार का छल, कपट नहीं रखते हुए समस्त प्राणी मात्र के लिए अच्छे भाव रखने चाहिए। ऐसे में मां लक्ष्मी हम पर सदा कृपा बरसाएगी। मां लक्ष्मीजी की अनेक संगीतमयी स्तुतियों के वाचन एवं विविध प्रकार के सामूहिक मंत्र जाप कराते हुए पूज्य गुरुदेवश्रीजी ने कहा कि जीवन को सुखी एवं समृद्ध बनाने के लिए धन की देवी मां लक्ष्मी की अष्टस्वरुप की पूजा, साधना व्यक्ति को अवश्य करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि अष्टलक्ष्मीजी की पूजा, साधना से व्यक्ति को न सिर्फ धन बल्कि यश, आयु, तेज, बल, वाहन, पुत्र व भवन इत्यादि की प्राप्ति होती है। अष्टलक्ष्मीजी की कृपा से आठों प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होने लगते हैं। उन्होंने कहा कि संतों की धन की प्रेरणा श्रद्धालूओं के माध्यम से विभिन्न प्रकार के दान धर्म करने के उद्देश्य से की जाती है। इस दौरान उन्होंने सभी को धन के साथ गुण की भी चाहना रखने की सीख दी। इस अवसर पर 'ऊं लक्ष्मी धनं देहि देहि स्वाहा' का सामूहिक मंत्र जाप कराया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण मंत्र शिरोमणि डॉ. वसंतविजयजी म.सा. के अधिकृत वैरिफाइड यू ट्यूब चैनल थॉटयोगा से लाईव किया गया।