कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गेहलोत के हाथों 'सूर्यदत्ता राष्ट्रीय पुरस्कार-2022' का वितरण














-"आदर्श व्यक्तित्व के सम्मान से छात्रों को मिलती है प्रेरणा, युवा दें समाज कल्याण व राष्ट्र के विकास में योगदान"



-विट्ठल जाधव, सुरेश कोते, कर्नल सुरेश पाटिल, ललित गांधी, प्रकाश रोकडे, मुकेश मोदी, डॉ. राजेश गादिया, हणमंत गायकवाड़ हुए सम्मानित



पुणे। शैक्षणिक संस्थानों को ज्ञान के साथ-साथ संस्कृति भी प्रदान करनी चाहिए। 'सूर्यदत्ता' जैसी संस्थाएं छात्रों के समग्र विकास पर जोर दे रही हैं। समाज के आदर्श व्यक्तित्व का सम्मान करना छात्रों के लिए प्रेरणा है। हम सभी को समाज की भलाई के लिए, दुनिया के कल्याण के लिए योगदान देना चाहिए। यह विचार व्यक्त किए कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गेहलोत ने। उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि जीवन मूल्यों का पालन करने से ही भारत का उज्ज्वल भविष्य प्राप्त होगा। यहां पुणे में विश्वस्तरीय निजी क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थान सूर्यदत्ता एजुकेशन फाउंडेशन के 24वें स्थापना दिवस के अवसर पर सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स द्वारा 'सूर्यदत्ता नेशनल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' और 'सूर्यदत्ता राष्ट्रीय पुरस्कार' राज्यपाल गेहलोत के हाथों विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्तियों को प्रदान कर पुरस्कृत किया गया। यह समारोह बावधान (पुणे) में सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स के परिसर में सूर्य भवन में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक अध्यक्ष आचार्यश्री लोकेश मुनिजी, भजन सम्राट अनूप जलोटा, 'सूर्यदत्ता ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय चोरडिया, उपाध्यक्ष एवं सचिव सुषमा चोरडिया, कार्यकारी विकास अधिकारी सिद्धांत चोरडिया, निदेशक स्नेहल नवलखा, सूर्यदत्ता इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ सायन्स के निदेशक डॉ. किमया गांधी मौजूद रहीं। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य अतिथि, शिक्षक, अभिभावक और छात्र उपस्थित थे।

'सूर्यदत्ता राष्ट्रीय लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार' प्रशासनिक सेवा में कार्य के लिए सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक डॉ. विट्ठल जाधव, पर्यावरण संरक्षण में किये कार्य के लिए कर्नल (सेवानिवृत्त) सुरेश पाटिल, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में योगदान के लिए 'जीतो' के संस्थापक ललित गांधी, सहकारिता एवं सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में कार्य के लिए सुरेश कोते, चिकित्सा सामाजिक सेवाओं के लिए डॉ. राजेश गादिया, मानवता और भाईचारे के प्रसार के लिए बंधूताचार्य प्रकाश रोकडे, वैश्विक उद्योग और सीएसआर के क्षेत्र में उनके काम के लिए मुकेश मोदी को सम्मानित किया गया। 

'सूर्यदत्ता राष्ट्रीय पुरस्कार' हनमंतराव गायकवाड़ (कॉर्पोरेट उत्कृष्टता), प्रबंध निदेशक, बीवीजी, उद्यमी चंद्रकांत सालुंके (एसएमई प्रमोशन), रोटेरियन डॉ. सिमरन जेठवानी (महिला सशक्तिकरण), दीपस्तंभ फाउंडेशन के संस्थापक, यजुर्वेंद्र महाजन (सामाजिक कार्य), सौरभ बोरा (वित्तीय और आध्यात्मिक सेवाएं), सॉलिसिस लेक्स के प्रबंध भागीदार ऍड. अमित मेहता (कानून और न्याय), और ग्लोबल डिजिटल मीडिया विशेषज्ञ भाव्या श्रीवास्तव को दिया गया। इस दौरान

थावरचंद गेहलोत ने कहा कि शिक्षा के साथ उद्यमिता और सामाजिक भावना होनी चाहिए। गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण है। डिजिटल लर्निंग, इनोवेशन, स्टार्टअप, मेक इन इंडिया जैसी पहलों के माध्यम से शिक्षा क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में छात्रों के समग्र विकास, मूल्यों और मातृभाषा में शिक्षित होने के अवसर पर केंद्रित है। इससे शिक्षकों और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी। सूर्यदत्ता संस्थान आधुनिक, मूल्य आधारित और समग्र विकास शिक्षा के लिए काम कर रहा है। यदि सभी संस्थाएं इस पद्धति का अवलंब कर शिक्षा प्रदान करें तो भारत को विश्वगुरु बनाने में देर नहीं लगेगी।

सूर्यदत्ता संस्था द्वारा चुने गए पुरस्कार विजेताओं का काम छात्रों के लिए एक प्रोत्साहन होगा। वे बोले, इन पुरस्कार विजेताओं ने कला, खेल, साहित्य, विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम करके हमारे लिए एक उदाहरण स्थापित किया है। देश के समग्र विकास के लिए कार्य करते हुए देखा जा रहा है कि विभिन्न क्षेत्रों में कार्य हो रहा है। देश को अलग-अलग ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सभी को अपने-अपने क्षेत्र में अपनेपन की भावना के साथ काम करना चाहिए। इस अवसर पर

आचार्यश्री लोकेशमुनिजी ने कहा, इन व्यक्तित्वों को सम्मानित करने का कारण आप सभी छात्रों को समझना चाहिए, इन व्यक्तियों ने निस्वार्थ भावना से समाज और देश के विकास में योगदान दिया है। हमें गर्व होना चाहिए कि भारत की धरती पर इतना सुंदर काम हो रहा है। आचार्यश्री ने बताया कि छात्रों के जीवन को आकार देते हुए मूल्य आधारित, रोजगारोन्मुख शिक्षा प्रदान करने का कार्य डॉ संजय चोरडिया के नेतृत्व मे हो रहा हैं। सामाजिक उत्थान का यह कार्य अनवरत जारी रहना चाहिए। कार्यक्रम में

प्रो. डॉ. संजय चोरड़िया ने कहा, बच्चों को कम उम्र में ही अच्छे संस्कार होने चाहिए, उनका बौद्धिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से विकास होना चाहिए, उन्हें समग्र रूप से समावेशी होना चाहिए। साथ ही उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के प्रेरक व्यक्तित्व को जानना चाहिए। प्रो. संजय ने कहा कि आज हमें शिक्षा, सामाजिक, स्वास्थ्य, उद्योग, प्रशासन, साहित्य आदि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 14 रत्नों का सम्मान करते हुए खुशी हो रही है।

विट्ठल जाधव ने कहा, हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए। सूर्यदत्ता संस्था गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करती है। छात्रों को इसका लाभ उठाना चाहिए और देश और समाज को गौरवान्वित करने के लिए अधिक से अधिक शिक्षा और संस्कृति लेनी चाहिए। भविष्य में यहां के छात्रों को आदर्श व्यक्तित्व के रूप मे सम्मानित किया जाएगा।

कर्नल (सेवानिवृत्त) सुरेश पाटिल ने कहा कि पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना समय की मांग है। विकास की ओर बढ़ते हुए हमें इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि पानी और पर्यावरण का क्षरण न हो। जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण कार्य में आपका योगदान आवश्यक है। जिनके पास पानी होगा वे ही भविष्य में शक्तिशाली राष्ट्र होंगे।

सुरेश कोते ने कहा कि समाज में लोगों के उत्थान के लिए काम करने वाली शख्सियतों का सम्मान करना काबिले तारीफ है।इसका एक विशेष स्थान है क्योंकि यह प्रत्येक पुरस्कार विजेता के काम पर आधारित है। हमें समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करना चाहिए।

चंद्रकांत साळुंखे ने कहा कि भारत विनिर्माण और निर्यात के क्षेत्र में अच्छा कर रहा है। देश के विकास में छोटे और मध्यम उद्यमों का योगदान बहुत बड़ा है।हाल के दिनों में कई स्टार्टअप विकसित हो रहे हैं। युवाओं को उद्योगों मुखी शिक्षा और पेशेवर विकास पर ध्यान देना चाहिए।

डॉ.राजेश गादीया ने कहा, "माता-पिता, शिक्षक, आसपास के कई लोग हमारे गठन में शामिल हैं।चिकित्सा सेवाएं प्रदान करते समय मन में सामाजिक भावना का पोषण होता है। लोग डॉक्टरों को देवता के रूप में देखते हैं। यह हमें और बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है।

डॉ.सिमरन जेठवानी ने कहा, ''महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए हमें उनके सशक्तिकरण के लिए काम करने की जरूरत है। समाज में कई महिलाओं को तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पिछले कुछ सालों से महिलाओं के लिए काम कर रही हैं। आज का सम्मान हमें और भी कुछ करने की प्रेरणा देता है।"

एड.अमित मेहता ने कहा कि हमें लगातार नई चीजें सीखनी चाहिए। जीवन में कठिनाइयों का सामना करने के लिए आपको कानून जानने की जरूरत है।यदि हम नेतृत्व, सद्भाव, परिपक्वता विकसित करें तो हम बेहतर कार्य कर सकते हैं।

अगर हम सफलता के शिखर पर पहुंच जाते हैं तो हमें अहंकार नहीं करना चाहिए। अनूप जलोटा ने आशा व्यक्त की कि नम्रता और संयम की खेती की जानी चाहिए।कार्यक्रम के बाद भजन संध्या कार्यक्रम में प्रस्तुत भजनों से श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। कार्यक्रम का संचालन निदेशक प्रशांत पितालिया ने किया। समूह निदेशक डॉ. शैलेश कासंडे ने आभार जताया।