मुनि भूपेंद्र कुमार पहुंचे पूनरासर, आरती का भी सामूहिक रूप से संगान










CK NEWS/CHHOTIKASHI बीकानेर। बलिदान करने वाला व्यक्ति ही कुल का गौरव होता है हर व्यक्ति को इसलिए अपने कुल के बारे में उसको अवश्य ही जानकारी रखनी चाहिए। जब तक हम अपने कुल की जानकारी नहीं रखेंगे तब तक हमारे को अपना इतिहास है उसका भी ज्ञान नहीं होगा। पूनरासर बालाजी के पुजारी लोग बोथरा परिवार के हैं और उनको भी यह ध्यान रखना चाहिए। पूनरासर बालाजी का इतिहास क्या है जब हम इस बात का ध्यान रखेंगे तब हमें पता लगेगा हमारे पूर्वज है। वह कैसे थे ? पूनरासर बालाजी हैं वह मेवाड़ के देलवाड़ा के राजा थे। महाराजा बोहित्य कुमार उनके 35 लड़के थे बड़ा लड़का करण उनका उत्तराधिकारी बनता है 34 लड़के पूरे हिंदुस्तान में फैल जाते हैं जो आगे जाकर बोथरा कुल कहलाता है। पूनरासर बालाजी बोथरा कूल के गौरव कहलाए। उपरोक्त विचार रविवार दोपहर पूनरासर बालाजी के मुख्य पुजारी रतन लाल  बोथरा के आवास पर प्रेरणा प्रदान करते हुए मुनि भूपेंद्र कुमार जी ने व्यक्त किए। इस अवसर पर कटक से स्मागत मोहन लाल सिंघि, गंगानगर हनुमानगढ़ अंचल तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुरेंद्र कोठारी, बोथरा परिवार की तरफ  से स्वागत में अपने विचारों की अभिव्यक्ति प्रस्तुत की। गंगाशहर से स्मागत राजेंद्र बोथरा ने गायन के माध्यम से पूरी सभा को एकाकार बना दिया। इस अवसर पर मुनि भूपेंद्र कुमार जी द्वारा रचित पूनरासर बालाजी की आरती का भी सामूहिक रूप से संगान किया गया। इस अवसर पर हैदराबाद से स्मागत विजय कुमार बोथरा, त्रिपुर से स्मागत ताराचंद बोथरा, हैदराबाद से स्मागत प्रेम खटेड, राजेरा, श्रीडूंगरगढ, गंगाशहर बीकानेर देराजसर व गांव के अनेकों लोग उपस्थित थे।