पर्यटन महत्‍व : ऊंटनी के दूध की बिक्री को एक उद्यम के रूप में अपनाते हुए अच्‍छा खासा लाभ कमा सकते हैं : आर्तबंधु साहू





बीकानेर, 9 दिसम्बर (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। राष्‍ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्‍द्र [एनआरसीसी] द्वारा अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत गुरुवार को जैसलमेर के सम एवं दबड़ी गांवों में पशु स्‍वास्‍थ्‍य शिविर एवं कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। केन्‍द्र द्वारा लगाए गए शिविरों में सम गांव के 09 एवं दबड़ी गांव के 107 पशुपालकों ने क्रमश: अपने पशुओं (ऊंट-19, भेड़ व बकरी 08), ऊंट 151, गाय 92, भेड़ एवं बकरी 901 सहित केन्‍द्र के इन कार्यक्रमों में शिरकत की। केन्‍द्र के इन कार्यक्रमों में महिला पशुपालकों की गहरी अभिरूचि देखी गई। केंद्र निदेशक डा. आर्तबंधु साहू ने पशुपालकों को ऊंटनी के दूध की औषधीय उपयोगिता एवं एनआरसीसी द्वारा इस क्षेत्र में किए जा रहे अनूठे प्रयासों की जानकारी देते हुए विशेषकर महिलाओं को प्रोत्‍साहित किया कि प्रदेश में पर्यटनीय महत्‍व को दृष्टिगत रखते हुए ऊंटनी के दूध की बिक्री को एक उद्यम के रूप में अपनाते हुए अच्‍छा खासा लाभ कमाया जा सकता है। साहू ने कहा कि परिवर्तित परिदृश्‍य में ग्रामीण अंचल के पशुपालक, पशुधन को इको-टूरिज्‍म के दृष्टिकोण से भी उपयोग में लेते हुए अपनी आजीविका में महत्‍वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं। डॉ साहू ने कहा कि प्रदेश में खेती से ज्‍यादा, पशुधन आधारित आजीविका को ध्‍यान में रखते हुए पशुपालकों को पशु उत्‍पादन, स्‍वास्‍थ्‍य, पोषण सभी पहलुओं की अद्यतन जानकारी होनी परम आवश्‍यक है ताकि वे अपने पशुधन को बेहतर रखते हुए अपनी आमदनी में अपेक्षित सुधार ला सके। केन्‍द्र की एससीएसपी उपयोजना के नोडल अधिकारी डॉ आर.के.सावल, प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि क्षेत्र में ऊंट के साथ-साथ बकरी, भेड़ एवं गाय मुख्‍य पशुधन हैं। महिला पशुपालकों को पशुओं की साफ-सफाई एवं इनसे स्‍वच्‍छ दूध उत्‍पादन प्राप्‍त करने संबंधी उपयोगी जानकारी दी गई। साथ ही उन्‍हें दूध उत्‍पादन हेतु प्रयुक्‍त लघु उपकरण एवं स्‍वच्‍छ व मुलायम वस्‍त्र एवं पशुओं हेतु अनुपूरक पशु आहार के रूप में केन्‍द्र द्वारा निर्मित 'करभ पशु आहार' भी वितरित किया गया। केन्‍द्र के वरिष्‍ठ वैज्ञानिक डॉ शिरीष नारनवरे, केन्‍द्र के डॉ काशी नाथ, पशु चिकित्‍सा अधिकारी ने भी अपनी बात कही। एनआरसीसी द्वारा आयोजित शिविरों में जैसलमेर जिले की पंचायत समिति के सलीम खां तथा प्रगतिशील युवा पशुपालक खेरूद्दीन ने विशेष योगदान दिया। केन्‍द्र के मनजीत सिंह ने पशुपालकों के पंजीयन, उपचार व आहार जैसे कार्यों में सक्रिय सहयोग प्रदान किया।