राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में हिन्दी पखवाड़े का शुभारम्भ / हिन्दी की समृद्धि हेतु भावी पीढ़ी को संस्कारित करें: डॉ.सिंह






CK NEWS/CHHOTIKASHI/BIKANER : संवाद को अधिक प्रभावी बनाने के लिए देश की निजभाषा हिन्दी को महत्व दिया जाए तथा इस गौरवमय भाषा की समृद्धि के लिए हमें भावी पीढ़ी को भी प्रारम्भिक स्तर से ही संस्कारित बनाना होगा। ये विचार डॉ. जी.पी. सिंह,  प्राचार्य, राजकीय डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर ने भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में आयोजित हिन्दी पखवाड़ा के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। डॉ. जी.पी. सिंह ने केन्द्र में 14-28 सितम्बर के दौरान मनाए जा रहे हिन्दी पखवाड़े के शुभारम्भ के मौके पर केन्द्र द्वारा ऊँट पालकों के हितार्थ हिन्दी भाषा में प्रचार-प्रसार कार्यक्रमों की सराहना की। उन्होने इस अवसर पर आह्वान किया कि हमें, हिन्दी को खुले मन से अपनाना होगा ताकि यह भाषा विविध क्षेत्रों की ओर तेजी से बढ़ सके।

इस अवसर पर केन्द्र के निदेशक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ.आर्तबन्धु साहू ने हिन्दी को दिल से बोली जाने वाली भाषा बताया। डॉ.साहू ने सदन को बताया कि केन्द्र द्वारा राजभाषा हिन्दी एवं द्विभाषी  माध्यम से प्रचार-प्रसार सामग्री अधिकाधिक प्रकाशित की जाती है ताकि अनुसंधान कार्यों का लाभ सीधे जरूरतमंद ऊँट पालकों एवं किसानों तक पहुंचाया जा सके। इस अवसर पर डॉ.साहू ने हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए इसे स्वाभिमान के तौर पर लेने की बात कही। केन्द्र द्वारा हिन्दी पखवाड़े के दौरान आयोज्य गतिविधियों एवं प्रतियोगिताओं में वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सहभागिता के लिए उन्होंने विशेष रूप से प्रोत्साहित किया।
उद्घाटन समारोह के अवसर पर केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.सुमन्त व्यास, नोडल अधिकारी, राजभाषा इकाई तथा डॉ. मो.मतीन अंसारी, वैज्ञानिक एवं प्रभारी राजभाषा द्वारा हिन्दी दिवस मनाए जाने की परम्परा एवं केन्द्र की राजभाषा गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया।
इस अवसर पर महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा जारी अपील सदन के समक्ष रखी गई तथा राजभाषा विभाग, नई दिल्ली की ओर से जारी प्रतिज्ञा का केन्द्र के श्री अशोक यादव, सहायक प्रशासनिक अधिकारी द्वारा वाचन भी करवाया गया। साथ ही मंत्री महोदयों द्वारा जारी प्रेरणादायक संदेश भी प्रसारित किए गए।