ऊँट अनुसंधान केन्‍द्र ने विश्‍व जनजातीय दिवस पर आयोजित किया पशु स्वास्थ्य शिविर






बीकानेर  09 अगस्त: भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्रबीकानेर (एनआरसीसी) द्वारा विश्‍व जनजातीय दिवस के अवसर पर सिरोही जिले के गांव इशराआबू रोड में पशु स्वास्थ्य शिविर एवं कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एनआरसीसी द्वारा जनजातीय उप योजना के तहत आयोजित इस पशु स्वास्थ्य शिविर में लगभग 735  विविध पशुओं जिनमें ऊँट 460,  भैंस 75,  गाय 50,  बकरी 100  एवं  भेड़ 50  के साथ आए लगभग 100 से अधिक महिला एवं पुरुष पशुपालक लाभान्वित हुए। पशु स्वास्थ्य शिविर के दौरान आयोजित कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में केन्‍द्र के वैज्ञानिकों ने पशुओं के रखरखाव, पशु उत्‍पादकता एवं इनसे प्राप्‍त स्‍वच्‍छ दुग्‍ध उत्‍पादन, उनके स्‍वास्‍थ्‍य एवं पशु व्‍यवसाय में आने वाले चुनौतियों/समस्‍याओं पर क्षेत्र के पशुपालकों के साथ गहन चर्चा भी कीं। कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम के दौरान एनआरसीसी के निदेशक डॉ. आर्तबन्‍धु साहू ने पशु पालकों से रू-ब-रू होते हुए उन्‍हें संस्‍थान की वैज्ञानिक उपलब्धियों एवं महत्‍वपूर्ण प्रसार गतिविधियों संबंधी जानकारी संप्रेषित कीं साथ ही उन्‍होंने कहा  कि देश में बढ़ती मानव आबादी एवं उनकी जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए ऊँटनी के दुग्‍ध व्‍यवसाय के साथ-साथ प्रजनन आदि पहलुओं के तहत नर ऊँट को भी पर्याप्‍त महत्‍व दिया जाना चाहिए ताकि इनकी संख्‍या में भी अपेक्षित वृद्धि लाई जा सके। केन्‍द्र निदेशक ने पशुपालकों को ऊँटनी के दूध को एक ठोस व्‍यवसाय के अपनाने हेतु विशेष रूप से प्रोत्‍साहित करते हुए कहा कि हमारा केन्‍द्र, सामूहिकता में आने वाले  पशुपालकों के लिए उष्‍ट्र दुग्‍ध संबंधी प्रशिक्षण के लिए सदैव तत्‍परता से कार्य करता है ताकि वे प्रशिक्षण में सैद्धांतिक व व्‍यावहारिक जानकारी प्राप्‍त कर अपने व्‍यवसाय को अच्‍छे रूप में अपना सके और यह व्‍यवसाय उनकी आमदनी का स्रोत बनकर उभर सके। केन्‍द्र निदेशक ने अपने संबोधन में भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही जनजातीय उप-योजना को महत्‍वपूर्ण बताते हुए पशुपालकों को इसका भरपूर लाभ लिए जाने की अपील कीं। जनजातीय क्षेत्र में आयोजित केन्‍द्र की इस गतिविधि में सम्‍माननीय अतिथि के रूप में डॉ. विनोद कालरा संयुक्‍त निदेशक, पशुपालन विभाग, सिरोही ने ऊँट अनुसंधान केन्‍द्र द्वारा आयोजित पशु स्‍वास्‍थ्‍य शिविर कैम्‍प की सराहना करते हुए कहा कि इशरा एक उष्‍ट्र बाहुल्‍य क्षेत्र होने के कारण इस गतिविधि का यहां विशेष महत्‍व है क्‍योंकि यहां के ऊँट पालक दुग्‍ध व्‍यवसाय के अलावा इस पशु का व्‍यापार भी करते है। उन्‍होंने विभाग की सरकारी योजनाओं/सुविधाओं के संबंध में भी पशुपालकों को जानकारी दी। केन्‍द्र की टीएसपी योजना के नोडल अधिकारी एवं कार्यक्रम संचालक डॉ.आर.के.सावल, प्रधान वैज्ञानिक ने जानकारी दी कि विश्‍व जनजातीय दिवस के महत्‍वपूर्ण अवसर को ध्‍यान में रखते आयोजित कार्यक्रम में जनजातीय क्षेत्र के पशुपालकों को वैज्ञानिक तरीके से पशुओं का प्रबंधन, उष्‍ट्र दुग्‍ध व्‍यवसाय, स्‍वच्‍छ दुग्‍ध उत्‍पादन आदि की ओर प्रोत्‍साहित किया गया। साथ ही कैम्‍प में शामिल महिलाओं को पशुओं से स्‍वच्‍छ दूध उत्‍पादन प्राप्‍त करने हेतु उन्‍हें पशु के थनों को धोने आदि के बारे में बताते हुए उन्‍हें मलमल कपड़ा/गमछा वितरित किया गया। साथ ही कैम्‍प में लाए गए पशुओं के 10 टोलों से मिंगणी, पेशाब, दूध, रक्‍त की संस्‍थान में जांच करने हेतु नमूनें लिए गए । इस अवसर पर केन्‍द्र द्वारा ऊँटनी के दूध के प्रति रूझान बढ़ाने हेतु एक दुग्‍ध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें पशुपालकों की उत्‍साही सहभागिता देखी गई। 15 स्‍टेप में आयोजित इस प्रतियोगिता में कुल 5 सर्वश्रेष्‍ठ पशुपालक प्रतिभागियों को प्रोत्‍साहन स्‍वरूप पुरस्‍कृत किया गया जिनमें एक महिला प्रतिभागी ने भी स्‍थान पाया।  एनआरसीसी की इस गतिविधि में पिंडवाड़ा के पीएफए ग्रुप के श्री अमित देओल ने भी अपने विचार रखे साथ ही क्षेत्र के प्रगतिशील पशुपालक सेवाराम ने सभी पशुपालकों की तरफ से केन्‍द्र की इस महत्‍वपूर्ण गतिविधि के आयोजन हेतु आभार व्‍यक्‍त किया। श्री सेवाराम द्वारा कैम्‍प आयोजन हेतु प्रदत्त महत्‍वपूर्ण सहयोग के लिए केन्‍द्र निदेशक ने भी उनकी सराहना की। कृषकों से संवाद करते हुए केन्‍द्र के वैज्ञानिक डॉ.मो.मतीन अंसारी  ने संस्‍थान द्वारा हाल ही में प्रारम्‍भ मोबाईल एप्‍प ‘उष्‍ट्र आरोग्‍यम्‘ से जुड़ने की बात कही जिसमें पशु के रखरखाव, रोगों आदि विभिन्‍न पहलुओं संबंधी अद्यतन जानकारी उपलब्‍ध है। इस अवसर पर केन्द्र के पशु चिकित्‍सा अधिकारी डॉ.काशी नाथ ने शिविर में लाए गए पशुओं की स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति के बारे में जानकारी दी गई । उन्‍होंने बताया कि पशुओं में ज्‍यादात्‍तर थनैला, फिरना (रिपीट ब्रिडिंग), चीचड़खाज-खुजलीभूख कम लगना दस्त लगनामिट्टी खाना आदि रोग पाए गए जिनके उपचार हेतु पशुओं को दवा दी गई। शिविर में पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य हेतु पेट के कीड़े मारने की दवा एवं ऊँटों में सर्रा रोग से बचाव हेतु 460 प्रोफालेक्टिक टीके लगाए गए साथ ही शिविर में आए पशुपालकों को केन्द्र में निर्मित पशुओं के पौष्टिक आहार (संतुलित पशु आहार) व खनिज मिश्रण का भी वितरण किया गया। केन्द्र द्वारा इशरा में आयोजित इस पशु स्वास्थ्य कैम्प में श्री मनजीत सिंह ने पशुपालकों के पंजीयनउपचारदवा व पशु आहार वितरण जैसे विभिन्न कार्यों में सक्रिय सहयोग प्रदान किया गया।