श्री विश्वशांति एवं महालक्ष्मी कुबेर अनुष्ठान में लिये गये संकल्प का फल राष्ट्रपति से लेकर हर आम इंसान को मिलेगा : राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी महाराज












कृष्णगिरी [CK NEWS/CHHOTIKASHI]।
 देश पर आए संकट के निवारण और प्रत्येक भारतवासी की समृद्धि, स्वास्थ्य व सुरक्षा के दिव्य संकल्प को लेकर राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी महाराज के सानिध्य में सदी के विशालतम महायज्ञ तथा अतिदिव्य श्री विश्वशांति एवं महालक्ष्मी कुबेर अनुष्ठान का आयोजन कृष्णगिरी स्थित श्री पार्श्व पद्मावती तीर्थधाम पर आयोजित किया जा रहा है। पूज्य गुरुदेव डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि समृद्धि अनंत है वेस्टर्न फिलोसोफी को देखें या भारतीय शास्त्र समृद्धि को दोनों अनंत मानते हैं। किसी का बढ़ गया तो किसी का खत्म नहीं होने वाला। उन्होंने कहा कि धरती पर असीम खजाना व रत्न सोना, चांदी, हीरा, पन्ना आदि के भंडार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जूझ-जूझ करके मेहनत करते हैं, कभी कोरोना संकट, कभी पाकिस्तान वाला परेशान तो कभी कोई संकट आता है। हमने सोचा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर विधायक, संसद सदस्य, केंद्रीय, मुख्यमंत्रियों, पार्षद तक जितने नेता मेहनत करते हैं, सेवा करते, गृहस्थी चलाते हैं,ऐसे में हमने मूल संकल्प में हर एक को नि:स्वार्थ सेवा करने की शक्ति मिले, हर व्यक्ति भारत को समृद्ध करने मेें लगे, यही मूल संकल्प किया है। इस संकल्प का फल निश्चित ही हर व्यक्ति को मिलेगा।


विश्व में आए महासंकट को मिटाने के लिए विराट रुप में दी जा रही करोड़ों आहूतियां

गुरुदेव डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि नदी हिमालय से शुरु होकर बहती है और पश्चिम बंगाल की खाडिय़ों में जाकर खत्म होती है। रास्तेभर हजारों किलोमीटर तक सींचती जाती है हर धरती को। नदी का बहना मात्र होता है और धरती हरी-भरी हो जाती है। उसी तरह यज्ञों की आहूति बहुत है जो संकटों से मुक्त कर देती है। पूज्य गुरुदेव डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने यह भी कहा कि शास्त्रों में लिखा है कि देवी को प्रसन्न करना हो तो चना जितनी आहूति देनी चाहिए। वे बोले कि भगवान ने श्रीकृष्ण के रुप मेें जब उपदेश दिया तब वे वास्तविक रुप में थे। वहीं भगवान ने जब दुष्टों का दमन किया, वामन अवतार लेकर तीन पैर से भूमि को नापा, तब वास्तविक रुप में नहीं थे। लेकिन वर्तमान समय में ऐसा महासंकट देश और पूरी दुनिया में आया हुआ है इसीलिए विराट रुप के संकट को मिटाने के लिए आहूतियां भी वास्तविक रुप में नहीं दी जाकर विराट रुप में दी जा रही है। उन्होंने कहा कि चने की गोली की तरह आहूति न देकर मेवा सहित अन्य जड़ी बूटियों, दुर्लभ पदार्थों से भारी मात्रा में आहूतियां देकर मां से आह्वान किया जा रहा है कि विराट बनकर धरती पर आए संकट की समाप्ति कीजिए। साथ ही संकल्प लेकर हर व्यक्ति के लिए यह यज्ञ-अनुष्ठान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर देवी मां प्रसन्न हो गयी तो हर भक्त लक्ष्मीपुत्र बन जाएगा।


10 लाख आहूतियों से सिद्ध भस्म जाएगी हर दानदाता के पास

पूज्य गुरुदेव डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने बताया कि महायज्ञ, अनुष्ठान में सहयोग करने वाले हर दानदाता के पास 10 लाख आहूतियों से सिद्ध भस्म डाक से जाएगी। न केवल भस्म बल्कि ममता मां के प्रति दानदाता की भक्ति, गुरु के प्रति श्रद्धा करने पर 'लक्ष्मी का खजाना' बटुआ पैकेट भी पहुंचेगा। इस बटुआ पैकेट में 1 करोड़ जाप से सिद्ध दिव्य लक्ष्मी यंत्र है। पूरे भारत और विश्व के लोगों को मां का आशीर्वाद मिल गया लेकिन दान देने वालों के घर यंत्र के रुप में मां स्वयं पहुंचेगी।