'वर्ल्ड जूनोसिस डे' पर राष्ट्रीय वेबिनार : '60 प्रतिशत मानवीय बीमारियां पालतू व जंगली पशुओं से प्रसारित'




बीकानेर, 06 जुलाई (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र द्वारा मंगलवार को 'वर्ल्ड जूनोसिस डे (विश्‍व पशुजन्यरोग दिवस) के अवसर पर जूनोसिस के नियंत्रण हेतु एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण वन हेल्थ अप्रोच फोर कंट्रोलिंग जूनोसिस विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें विषय.विशेषज्ञों के साथ केन्द्र निदेशक डॉ आर्तबन्धु साहू के नेतृत्व में एनआरसीसी वैज्ञानिकों ने विषयगत गहन विचार-विमर्श किया। इस वेबिनार में विषय.विशेषज्ञ के रूप में डॉ गया प्रसाद पूर्व कुलपति, सरदार वल्लभभाई पटेल युनिवर्सिटी ऑफ  एग्रीकल्चर एण्ड टेक्‍नोलॉजी, मेरठ ने अपने व्याख्यान में मानवीय बीमारियों में पशुओं की भूमिका के संदर्भ में बताते हुए कहा कि 60 प्रतिशत मानवीय बीमारियां पालतू व जंगली पशुओं से प्रसारित होती है। उन्होंने मानव, पशु एवं इको.सिस्टम हेल्थ, खाद्य सुरक्षा, व्यवसाय, जैव.सुरक्षा, आर्थिक व्यवस्था, आजीविका सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव को रोकने के लिए जूनोसिस बीमारियों की रोकथाम व नियंत्रण को अत्यंत जरूरी बताया। वेबिनार में डॉ प्रवीण मलिक, पशुपालन आयुक्त, पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली ने बतौर विषय.विशेषज्ञ के रूप में अपने व्याख्यान में कहा कि हमें पशुजन्य बीमारियों की उपेक्षा कतई नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के पशुपालन व डेयरी विभाग द्वारा एकल स्वास्थ्य स्वरूप के तहत पशु स्वास्थ्य प्रबन्धन के पहल की घोषणा की गई है। इस अवसर पर केन्द्र के निदेशक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ आर्तबन्धु साहू ने बताया कि वैश्विक स्तर पर मनाए जा रहे इस जूनोसिस डे की थीम 'लेट्स ब्रेक द चैन ऑफ जूनोटिक ट्रांसमिशन' रखी गई है। केन्द्र द्वारा जूनोसिस डे पर आयोजित इस राष्ट्रीय वेबिनार में देशभर के करीब 250 से अधिक प्रोफेसर, अनुसंधान कर्ता, विद्यार्थी गण आदि ने सहभागिता निभाई तथा प्रश्‍न.सत्र में अपनी जिज्ञासाओं को रखा जिनका विषय.विशेषज्ञों द्वारा उचित निराकरण प्रस्तुत किया गया। इस वेबिनार कार्यक्रम के समन्वयक डॉ शिरीष नारनवरे, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा जूनोसिस डे मनाए जाने के उद्देश्‍य एवं महत्व पर प्रकाश डाला गया।