भूमि संरक्षण के लिए दुनिया का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड लैंड फॉर लाइफ बीकानेर के प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी को





बीकानेर, 17 जून (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। भूमि संरक्षण से सम्बंधित संयुक्त राष्ट्र संघ के सबसे बड़े संगठन यू.एन.सी.सी.डी द्वारा हर दो साल के अंतराल पर दिए जाने वाले दुनिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड लैंड फॉर लाइफ  के लिए इस बार (बीकानेर)भारत के प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी द्वारा विकसित पारिवारिक वानिकी अवधारणा को चुना गया है। संस्‍था के एक्जीक्यूटिव सेक्रेट्री इब्राहिम थियॉ ने मंगलवार को बॉन में इसकी घोषणा की। डूंगर कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. जी.पी. सिंह एवं सहायक निदेशक कॉलेज शिक्षा डॉ. राकेश हर्ष, मीडिया प्रभारी राजेंद्र पुरोहित ने ज्याणी को बधाई दी है। श्रीगंगानगर जिले की रायसिंहनगर तहसील के गांव 12 टी. के.  के मूल निवासी व वर्तमान में बीकानेर के राजकीय डूंगर कॉलेज में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी पिछले दो दशक से पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थल में पेड़ को परिवार का हिस्सा बनाकर जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने में कामयाब हुए हैं। इस बेहद प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार हेतु दुनियाभर से सरकारों, संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठनों, अलग-अलग क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा भूमि संरक्षण हेतु कार्य कर रही संस्थाओं व व्यक्तियों का मनोनयन किया जाता है उसके पश्चात्  यू एन सी सी डी द्वारा गठित अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक मंडल द्वारा गहराई से उन व्यक्तियों/संगठनों के कार्यों की समीक्षा करके कुछ नामों को अंतिम तौर पर फाइनलिस्ट के रूप में जारी किया जाता है। वर्ष 2021 के लिए पूरी दुनिया से 12 लोगों, संस्थाओं को फाइनलिस्ट घोषित किया गया और आज विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोधी दिवस पर कोस्टा रिका में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में इस वर्ष के पुरस्कार हेतु प्रोफेसर ज्याणी के नाम की घोषणा की गयी । हालांकि इस बार अंतिम 12 नामों  में भारत से ज्याणी के अलावा सदगुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन और दुनियाभर में चर्चित उनके कार्यक्रम रेली फॉर रीवर को भी शामिल किया था लेकिन अंतिम तौर पर ज्याणी के कार्यों को तरजीह देते हुए इस पुरस्कार हेतु चुना गया है। आज इस पुरस्कार की घोषणा हुई है और अगस्त के आखिर में चीन में आयोजित होने वाले विशेष समारोह में ज्याणी को इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा साथ ही पुरस्कार समारोह में प्रो ज्याणी का विशेष भाषण होगा। 



25 लाख वृक्षारोपण कराया जा चका ज्याणी द्वारा !


यू एन सी सी डी ने ज्याणी की पारिवारिक वानिकी अवधारणा को वनीकरण का अनूठा विचार बताते हुए इसे पारिस्थितीकी अनुकूल सभ्यता के विकास के एक प्रभावी तरीके के तौर पर उल्लेखित किया है और लिखा है कि 15000 से अधिक गांवों के दस लाख से ज्यादा परिवारों को जोड़ते हुए ज्याणी द्वारा 25 लाख वृक्षारोपण करवाया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि ज्याणी के लगाए जंगल आज फेफड़ों का काम कर रहे हैं। राजकीय डूंगर कॉलेज परिसर में ही ज्याणी ने 6 हैक्टेयर भूमि पर 3000 पेड़ों का एक जंगल खड़ा कर दिया है जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित पैनल के फार्मूले के अनुसार गणना करने पर आज की तारीख में 1 अरब 8 करोड़ रुपए मूल्य की ऑक्सीजन उत्पन्न कर रहा है। पारिवारिक वानिकी के प्रणेता ज्याणी अपने इस वन खंड को संस्थागत वन कहते हैं। बकौल ज्याणी '' संस्थागत वन मानव निर्मित जंगल की एक नई श्रेणी है जो विद्यार्थियों व स्थानीय समुदाय को सतत वन प्रबंधन के तरीके सिखाती है और पारिवारिक वानिकी के जरिए उन्हें हैड,हैंड व हार्ट तीनों ही तरह से पेड़ व पर्यावरण से जोड़ती है। यह वनीकरण के साथ-साथ क्रियात्मक पर्यावरणीय शिक्षा और जलवायु सशक्तिकरण की एक प्रक्रिया है। मैंने इस जंगल को शांतिदूत गांधी को समर्पित किया है और इस मॉडल को आगे बढ़ते हुए स्कूली शिक्षकों व ग्रामीण युवाओं के सहयोग से पश्चिमी राजस्थान में 170 गांधी संस्थागत वन विकसित करवा दिए हैं यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।''