यूसीईटी में तीन दिवसीय आर्ट ऑफ लिविंग की कार्यशाला का शुभारम्भ / योग से हो सबका भला यही जीवन जीने के कला : डॉ अम्बरीश शरण विद्यार्थी, कुलपति








 

बीकानेर 28 जून [CK NEWS] यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी  बीकानेर   में इम्यूनिटी बूस्ट एवं प्रीवेंशन विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत हुई। कार्यशाला के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अंबरीष शरण विद्यार्थी ने कहा कि योग की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द, 'यूज' (YUJ) से हुई है। इसका मतलब है जुड़नाकनेक्ट या एकजुट होना। यह सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का संघ है। योग 5000 साल पुराना भारतीय दर्शनशास्त्र है। इसका सबसे पहले प्राचीन पवित्र पाठ - ऋग्वेद में उल्लेख किया गया था हजारों सालों से भारतीय समाज में योग का अभ्यास किया जा रहा है। आज के युग में आदमी मशीन बनता जा रहा है। वह अपने कामकाज में इतना व्यस्त हो गया है कि उसकी दिनचर्या असंतुलित हो गई है। उसका खान-पान रहन-सहन सब बदलता जा रहा है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। अतः इस तरह की कार्यशाला हमारा ध्यान केंद्रित करती है कि हमारी जीवन-शैली कैसी हो हमें अपने पर्यावरण को शुद्ध करना होगा जिससे हमें शुद्ध भोजन मिले और हमारी इम्यूनिटी इस महामारी के दौर में बढ़ सके। योगआसन आदि की क्रियाओं से हम अपनी भीतरी कार्यशक्ति को बढ़ा सकते हैं। हमें इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए रोज 15 मिनट या आधे घंटे योग को करना चाहिए।

 

डॉ यदुनाथ सिंह, प्राचार्य एवं निदेशक अकादमिक विभाग ने कहा की इस महामारी में हमें पहले से ही एहतियात बरतने की आवश्यकता है। विभिन्न प्रकार के योग एवं आसन हमारे अंगों को मजबूत बनाते हैं तथा शारीरिक विकास भी करते हैं। विद्यार्थियों की एकाग्रता को बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। उन्होंने प्रैक्टिकल सेशन में योगाभ्यास करके छात्रों को प्रेरित किया और कहा कि इससे हम पर्यावरण के समीप जाते हैं। योग एक कला है जो हमारे शरीरमन और आत्मा को एक साथ जोड़ता है और हमें मजबूत और शांतिपूर्ण बनाता है। योग आवश्यक है क्योंकि यह हमें फिट रखता हैतनाव को कम करने में मदद करता है और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखता है और एक स्वस्थ मन ही अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित करने में सहायता करता है।

 

डॉ. अनु शर्माकार्यशाला संयोजिका ने बताया कि विश्व के विकास के साथ-साथ व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक विकास भी जरूरी है। योगासन इसमें सहायक होते हैं इसे आने वाले संक्रमण से बचाया जा सकता है। यह शरीर की कई बीमारियों को दूर करते हैं। कार्यक्रम में श्री मनीष गंगल जीप्रशिक्षकआर्ट ऑफ लिविंग ने योगा एवं मेडिटेशन के महत्व को बताते हुए कई तरह के योग का अभ्यास कराया। प्रत्येक आसन से होने वाले फायदे बताऐ। इम्यूनिटी बूस्ट आसन द्वारा शरीर की कोशिकाएंउत्तक एवं अंगों की सुरक्षा होती है। अगर यह कमजोर हो तो रोगों से लड़ने में व्यक्ति असक्षम हो जाता है। उन्होंने प्रीकोविडड्यूरिंग कोविडपोस्ट कोविड की जानकारी दी। कार्यक्रम के सह संयोजिका नीलम स्वामी एवं सुरेंद्र जांगु ने तकनीकी सत्र संभाला तथा योगा मेडिटेशन को जीवन में अपनाने के लिए छात्रों को प्रेरित किया। अंत में प्रतिभागी विधार्थियों ने फीडबैक दिए और नीलम स्वामी ने सबको धन्यवाद ज्ञापित किया।