बीकानेर 18 जून (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा शुक्रवार को 'उर्वरक के संतुलित उपयोग' पर किसान जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर केन्द्र के निदेशक डॉ आर्तबन्धु साहू द्वारा काजरी संस्थान बीकानेर के प्रभागाध्यक्ष डॉ एन डी यादव के साथ खास चर्चा भी की गई। साहू ने चर्चा के दौरान बताया कि भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने की खुशी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सभी संस्थान और इससे जुड़े कृषि विज्ञान केन्द्र, आज इस विशेष अभियान का आयोजन कर रहे हैं। डॉ साहू ने कहा कि केन्द्र द्वारा ऊँट पालकों एवं किसानों के प्रशिक्षण एवं भ्रमण संबंधी विशेष अवसरों पर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध वनस्पतियों एवं क्षेत्र की मृदा के संरक्षण, इसके बेहतर उपयोग तथा फुसलों के दौरान उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल के बारे में विषय.विशेषज्ञों आदि द्वारा जानकारी दी जाती है। उन्होंने कहा कि देश के ज्यादात्तर किसानों की आजीविका कृषि एवं पशुधन पर ही निर्भर करती हैं, ऐसे में यदि उन्हें मृदा की गुणवत्ता एवं अन्य जरूरी पहलुओं संबंधी वैज्ञानिक व अद्यतन जानकारी संप्रेषित की जाएगी तो वे खेत-खलिहान से अधिक उत्पादन ले सकेंगे तथा उनका जीवन खुशहाल हो सकेगा। कृषि विज्ञान विशेषज्ञ के रूप में डॉएन डी यादव ने कहा कि खासकर प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु पशुधन के अलावा खेती की तरफ भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जैविक खेती से मिट्टी की संरचना में सुधार लाया जा सकता है तथा बदलते परिवेश में जैविक खेती की मांग भी तेजी से बढ़ रही है और कई किसान भाई, इससे आशातीत लाभ कमा रहे हैं। इस अवसर पर केन्द्र द्वारा उपलब्ध भूमि के सदुपयोग हेतु शीघ्र ही थ्री टायर सिस्टम (त्रिस्तरीय प्रणाली) का काजरी संस्थान, बीकानेर के साथ मिलकर नेपियर, सहजन तथा शहतूत युक्त चरागाह क्षेत्र के विकास पर भी चर्चा की गई। साथ ही केन्द्र में जल संचयन (वॉटर हार्वस्टिंग) हेतु एक योजना बनाए जाने के संबंध भी विचार-विमर्श किया गया। केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ आर के सावल ने भी इस दौरान अपने विचार रखे।
भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने की खुशी में एनआरसीसी द्वारा किसान जागरूकता अभियान का आयोजन