ऊंट व भेड़ के बालों से ऊन धागा निर्मित करने, सिलाई कर हस्तशिल्प कला में निपुण होंगे प्रशिक्षणार्थी : डॉ. आर्तबंधु साहू






बीकानेर, 27 मार्च (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। राजस्थान में बीकानेर स्थित राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र [एनआरसीसी] द्वारा अनुसूचित जाति उपयोजनांतर्गत वित्त पोषित 10 ऊंटपालकों एवं किसानों के लिए केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर में हैंड्स ऑन ट्रेनिंग ऑन वूलन हैंडीक्राफ्ट (हस्त निर्मित ऊनी शिल्प प्रशिक्षण) विषयक एक महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ हुआ है। केंद्र के मीडिया प्रभारी नेमीचंद बारासा ने आज बताया कि केंद्र के निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने एक महीने तक चलने वाले कौशल विकास संबंधी इस उपयोगी प्रशिक्षण की प्रगति का जायजा शनिवार को लिया। अपने उद्बोधन मेें डॉ. साहू ने कहा कि केन्द्र की ओर से भेजे गए प्रशिक्षणार्थियों को सीएसडब्ल्युआरआई में ऊँट व भेड़ के बालों से ऊन के प्रसंस्करण, इससे धागा निर्मित करने तथा उसी धागे से सिलाई कर हस्तशिल्प कला में निपुण किया जाएगा। इसी दौरान प्रशिक्षणार्थियों को ऊन उद्योग तथा शिक्षण संस्थान आदि के (फील्ड) भ्रमण कार्यक्रम में आज उन्हें टोंक जिले के नमदा उद्योग के कलात्मक आइटमों के अवलोकन हेतु इसकी विभिन्न इकाइयों का भ्रमण करवाया गया। साहू ने स्पष्ट किया कि ऊँट व भेड़ की ऊन से जुड़े व इच्छुक किसान भाइयों हेतु कार्य सुरक्षा (जॉब सेफ्टी) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एनआरसीसी द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण में तैयार प्रशिक्षु न केवल अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर सकेंगे अपितु अपने कौशल को आगे बढ़ाते हुए अन्य किसान भाइयों को भी एनआरसीसी के माध्यम से प्रशिक्षित करेंगे। उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में पारंपरिक व्यवसायों को नूतन प्रौद्योगिकी से जोड़कर देखना होगा तभी किसान भाइयों की आमदनी में वांछित बढ़ोत्तरी संभव है। केन्द्र की अनुसूचित जाति उपयोजना के नोडल अधिकारी डॉ आर.के. सावल ने जानकारी दी कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम हेतु केन्द्र द्वारा केन्द्रीय भेड़ व ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर को अपेक्षित धन राशि दी गई हैं जिसमें प्रशिक्षणार्थियों के परिवहन, भोजन, रहने एवं प्रोत्साहन राशि की सुविधाएँ सम्मिलित हैं।