'सूर्यदत्ता' की पहल से पुणे में बनी विश्वविक्रमी महामिसल / विष्णू मनोहर ने सात घंटे में पकाई सात हजार किलो मिसल; तीन घंटे में 300 'एनजीओ' द्वारा 30 हजार लोगों को किया वितरण










पुणे [CK NEWS/CHHOTIKASHI]। पुणे का मशहूर व टेस्टी खाद्य पदार्थ मिसल किसी की भी जीभ पर पानी लाने के लिए काफी है। ऐसे में अगर मिसल महोत्सव हो जाए तो बात ही क्या? ऐसा ही एक मिसल महोत्सव पुणे के विश्व स्तरीय सूर्यदत्ता इंस्टीट्यूट में आयोजित किया गया। इस महोत्सव में एक या दो किलो मिसल नहीं बल्कि सात हजार किलो मिसल बनाया गया। वह भी केवल सात घंटे के अंदर। इतना ही नहीं तो इस मिसल को मात्र तीन घंटे में 300 'एनजीओ'के माध्यम से  30 हजार गरीब व जरुरतमंद लोगों तक पहुंचाया गया। जल्द ही गिनीज, लिम्का, गोल्डन बुक ऑफ रेकॉर्ड्स व अन्य रेकॉर्ड में इस विश्व कीर्तिमान दर्ज होगा। 'सूर्यदत्ता फूड बैंक' व 'सूर्यदत्ता एज्यु-सोशियो कनेक्ट' के अंतर्गत यह उपक्रम हुआ। विश्व में पहली बार इतने प्रमाण में मिसळ बनाया गया है। सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट व मशहूर शेफ विष्णु मनोहर की अगुवाई में बावधान के कैंपस में रविवार सुबह 2 बजे से लेकर 9 बजे के दौरान मात्र सात घंटे में इस मिसल को तैयार किया गया। वहीं सुबह 9 से दोपहर 12 तक इसका वितरण कर दिया गया। इस मिसल को पकाने में डेढ़ हजार किलो मटकी, 500 किलो प्याज, 125 किलो अदरक, 125 किलो लहसून, 400 किलो तेल, 180 किलो प्याज-लहसून मसाला, 50 किलो मिर्ची पावडर, 50 किलो हल्दी, 25 किलो नमक, 115 किलो गरी, 15 किलो तेजपत्ता, 1200 किलो मिक्स फरसान, 4500 लीटर पानी, 50 किलो हरी मेथी का इस्तेमाल किया गया। इस मिश्रण से तैयार हुआ तीखा, चटपटा मिसल। इसे पकाने के लिए 33 बाय 22 का चूल्हा, 10 बाय 10 व 7 बाय 7 साइज की कढ़ाई का उपयोग किया गया।

'सूर्यदत्ता' के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय चोरडिया ने इस बारे में कहा कि पुणेरी मिसल पुणे की खासियत है, इसलिए महामिसल पका कर विश्व कीर्तितान बनाया जाए और इसके जरिए गरीब व जरूरतमंदों को भोजन करवाया जाए। इससे हमारी संस्था के होटल मैनेजमेंट, एमबीए, इंटीरियर डिजाइन, फैशन डिजाइन जैसे विभागों के विद्यार्थियों व शिक्षकों को प्रात्यक्षिक ज्ञान का अनुभव मिलेगा। इस उद्देश्य से इस महामिसल का आयोजन किया गया। कोरोना के चलते गिने चुने लोगों की मौजूदगी में यह महामिसल पकायी गई। मशहूर मास्टर शेफ विष्णु मनोहर के मार्गदर्शन में पकाए गए इस महा मिसल के कारण हमारे विद्यार्थियों को भरपूर ज्ञान मिला।

शैक्षणिक ज्ञान के साथ ही  विद्यार्थियों को प्रात्यक्षिक अनुभव मिला। इस चुनौतीपूर्ण समय में भी विश्वकीर्तिमान बना। विद्यार्थियों को काफी कुछ सीखने को मिला। इसकी हमें खुशी है. 'अनफोल्ड हिडन पोटेन्शियल थ्रू ब्लाइंडफोल्ड', '24 हावर्स सायलेंट रीडेथॉन', 24 घंटे  विद्यार्थयों का वाचन, चिंतन, शंकाओं का समाधान, 1100 तुलशी के पौधों से भारत का नक्शा साकार करना, काव्याथॉन 2019 व 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के  शिकागो में दिए गए भाषण का 1200 बच्चों से वाचन करवाना, जैसे अनेक विश्व कीर्तिमान सूर्यदत्ता इंस्टीट्यूट में बने हैं। विष्णु मनोहर के साथ में बना आज का यह सातवां विश्व कीर्तिमान है। एनजीओ के माध्यम से इस मिसल को लोगों में बांटा गया। बावधन परिसर व शहर के अन्य हिस्सों के लगभग 400 लोगों ने इस स्वादिष्ट मिसल का लुत्फ लिया। सूर्यदत्ता में आए अतिथियों ने भी इसका स्वाद चखा।

मास्टर शेफ विष्णु मनोहर ने कहा कि हमने आजतक सबसे बड़ा पराठा, पांच हजार किलो खिचड़ी, चार हजार किलो बैंगन का भर्ता, सबसे बड़ा कबाब बनाने के अनेक विश्व कीर्तिमान बनाए हैं। आज प्रो. डॉ. संजय चोरडिया की संकल्पना से  खवय्ये पुणेकरों के लिए महामिसल पकाने का विश्व कीर्तिमान बना। इतने बड़ी मात्रा में मिसल पकाने में खूब मजा आया। ऐसे कीर्तिमान के समय हजारों लोगों की भीड़ होना सहज है, परंतु कोरेाना के चलते इस समय केवल 25 से 30 लोगों में ही यह कीर्तिमान बना। उन्होंने कहा कि डॉ. संजय चोरडिया व सुषमा चोरडिया के साथ ही  'सूर्यदत्ता' के  शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारी, विद्यार्थियों का इस उपक्रम में  दिया गया योगदान सराहनीय है।


सूर्यदत्ता कॉलेज ऑफ हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट एंड ट्रैवल टरिज्म, सूर्यदत्ता इन्स्टिट्यूट ऑफ फैशन डिजाइन, सूर्यदत्ता इन्स्टिट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट एंड टेक्नॉलॉजी, सूर्यदत्ता इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्युनिकेशन, सूर्यदत्ता के पुणे इन्स्टिट्यूट ऑफ अप्लाइड टेक्नॉलॉजी के विद्यार्थी व शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारियों ने इस विश्व कीर्तिमान में हिस्सा लिया. प्रा. संजय चोरडिया, सुषमा चोरडिया, सिद्धांत चोरडिया, प्रा. शैलेश कुलकर्णी, सचिन इटकर, प्रा. सुनील धाडीवाल, प्रा. प्रतीक्षा वाबले, प्रा. शेफाली जोशी, समीरा नाईक, प्रा. अजित शिंदे, नयना गोडांबे, प्रा. मंदार दिवाने आदि इस समय उपस्थित थे।


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