जयपुर, 03 जनवरी (छोटीकाशी डॉट पेज)। हरित पर्यावरण एवं स्वच्छ ऊर्जा को बढावा देते हुए भारतीय रेलवे वैश्विक परिवहन क्षेत्र में अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है। पर्यावरण संरक्षण का उत्तरदायित्व आज व्यक्ति विशेष का न होकर सभी का हो गया है ताकि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ जीवन प्रदान किया जा सके। ऊर्जा संरक्षण के साथ पर्यावरण को सुदृढ़ बनाने के लिये रेलवे भी लगातार सकारात्मक कदम उठा रहा है, जिसमें परम्परागत संसाधनों के स्थान पर पर्यावरण अनूकुल स्त्रोतों का अधिकाधिक उपयोग किया जा रहा हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे (एनडबल्यूआर) के मुख्य जन सम्पर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट शशि किरण के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे भी अपने प्रयासों को गति प्रदान कर प्रदुषण रहित पर्यावरण की मुहिम को बढाने के साथ.साथ राजस्व की भी बचत कर रहा है। ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में उत्तर पष्चिम रेलवे ने विगत 14 वर्षों में लगातार 13 राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण एवं 35 राजस्थान ऊर्जा संरक्षण अवार्ड प्राप्त किये है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर विगत समय में सौर ऊर्जा पर काफी कार्य किये गये है। इस रेलवे पर कुल 6872.25 केडबल्यूपी क्षमता के सोलर पैनल स्थापित किये गये है। इनसे पर्यावरण संरक्षण के साथ.साथ राजस्व की भी प्रतिवर्ष बचत हो रही है। उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर स्थित कारखाना में डेमू ट्रेन के छत पर पहली बार सौलर पैनल स्थापित कर ट्रेन में बिजली उपकरणों को सौलर पावर से संचालित किया जा रहा है। 556 रेलवे स्टेशनों एवं 821 कार्यालय भवनों पर एक लाख से अधिक एलईडी लाईट्स लगाई गयी है। एलईडी आधारित उपकरणों से प्रकाश की क्वालिटी बेहतर प्राप्त होती है साथ ही इनसे बिजली की भी बचत होती है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर 100 प्रतिशत एलईडी लाइटों का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उत्तर पश्चिम रेलवे में स्वच्छता पर विशेष कार्य किया है। इस मामले में सम्पूर्ण भारतीय रेलवे पर शीर्ष 10 स्टेशनों में उत्तर पश्चिम रेलवे के 07 स्टेशन शामिल है।
2723 डिब्बों में 8946 बायो-टॉयलेट लगाकर शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया
भारतीय रेलवे ने यात्रियों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करने और स्टेशन परिसर एवं पटरियों को साफ रखने की अपनी प्रतिबद्धता मेंए अपने यात्री डिब्बों के लिए पर्यावरण के अनुकूल बायो.टॉयलेट विकसित किए हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे पर 2723 डिब्बों में 8946 बायो.टॉयलेट लगाकर शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। बायो टॉयलेट लगाने से एक ओर जहां गन्दगी में कमी होगी वहीं हरित पर्यावरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान होता है। स्वच्छ और कुशल शौचालय प्रदान करने के उद्देश्य से और शौचालय में पानी की खपत को कम करने के लिए, रेलवे जैव.वैक्यूम शौचालयों का परीक्षण कर रहा है।
ऑटोमेटिक कोच वाशिंग संयत्र लगाकर कर रहे पानी की बचत
'जल ही कल है' इसी भावना से कार्य करते हुए उत्तर पश्चिम रेलवे पर जोधपुर, मेडता, मदार, बीकानेर, श्रीगंगानगर, बाड़मेर एवं लालगढ डिपो में ऑटोमेटिक कोच वाशिग संयंत्र द्वारा गाडिय़ों की धुलाई कर पानी की बचत की जा रही है। इन डिपों पर वाटर रिसाईक्लिंग प्लांट भी कार्यशील है, जिनसे प्रतिदिन 1.7 मिलियन लिटर पानी की बचत की जा रही है। रेलवे का प्रयास है कि पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के लिये यथासंभव कार्य किये जाये और पर्यावरण अनूकुल स्त्रोतो का अधिकाधिक उपयोग किया जाये।