बीकानेर, 18 जनवरी (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। पूर्व राज्यसभा सांसद, प्रसिद्ध शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने सोमवार को कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है किन्तु कुछ साहित्यकारों द्वारा इसे समाज की नकारात्मकता अभिव्यक्त करने का ही माध्यम बना लिया गया है, इन रचनाओं में दिखाया जाता है कि समाज में कुछ भी ठीक नहीं है, इससे समाज में विखराव की स्थिति पैदा हुई है। इस मायने में प्रस्तुत पुस्तक "राइज कोविड स्टोरीज आंव हेमांग राष्ट्र" एक सराहनीय सृजनधर्मी प्रयास है। लेखक प्रो. सुरेश कुमार अग्रवाल ने कोरोना काल के दौरान उत्पन्न सकारात्मकता जिसने समाज को बांधे रखा है, को बखूबी प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। डॉ शर्मा वर्चुअल पुस्तक राइज: कोविड स्टोरीज आव हेमांग राष्ट्र के आन लाइन विमोचन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। विशिष्ट अतिथि कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. पी.के. दशोरा ने कहा कि स्वतं़त्र्यात्तोर भारत में लिखा गया अधिकांश साहित्य इस बात को भी अभिव्यक्त करता है कि मनुष्य अब एक श्रेष्ठ प्राणी नहीं रह गया - इस तरह के साहित्य में मानव द्वारा किये जा रहे अमानवीय कृत्यों का ही जिक्र होता है। अंग्रेजी के आचार्य एवम् हिमाचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एस.डी. शर्मा ने कहा कि पुस्तक कोरोना एवम् लॉक डाउन के पश्चात् भारत के विश्वशक्ति के रूप में उदय की अभिव्यक्ति है। इलाहबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेजी के वरिष्ठ आचार्य प्रो. एस. के. शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश स्वामी, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वी.के.सिंह ने भी विचार रखे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में संयोजक एवम् अंग्रेजी की वरिष्ठ सह आचार्य डॉ. दिव्या जोशी ने कहा कि पुस्तक में सम्मिलित कहानियाँ पुस्तक के शीर्षक की सार्थकता को व्यक्त करती है। उन्होंने पुस्तक संश्लेषण प्रस्तुत करते हुए बताया कि पुस्तक में सम्मिलित कहानियाँ संवेदनशीलता को मूत्र्त रूप प्रदान करती है। इससे पहले कार्यक्रम की शुरूआत पुस्तक के लेखक प्रो. एस.के. अग्रवाल द्वारा पुस्तक परिचय से हुई। कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में कार्यरत सहायक आचार्य श्रीमति संतोष कँवर शेखावत ने किया।
प्रो. अग्रवाल की पुस्तक 'राइज कोविड स्टोरीज आंव हेमांग राष्ट्र' का वर्चुअल विमोचन