भंडारी को 'सूर्यभूषण अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार' से नवाजा
कोरोना लड़ाई में योगदान देनेवाले योद्धाओं के प्रति कृतज्ञ भाव जरुरी : डॉ. दत्तात्रेय शेकटकर
पुणे। अन्य युद्धों से ज्यादा जैव एवं रासायनिक युद्ध का खतरा अधिक है, यह कोरोना ने हमें दिखाया है। बम विस्फोट के बिना, एक भी गोली दागे बिना लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इस लड़ाई में डॉक्टरों, चिकित्सा कर्मचारियों, पुलिस और स्वच्छता कर्मचारियों ने बड़ी भूमिका निभाई है। उनके प्रति कायम कृतज्ञ भाव रखे जाने निहायत ही आवश्यक है। यह कहा लेफ्टनंट जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. दत्तात्रेय शेकटकर ने। पुणे के विश्व स्तरीय शैक्षणिक संस्थान सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स के बंसीरत्न हॉल में आयोजित 'सूर्यभूषण अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार' प्रदान करने के अवसर पर वे अपना वक्तव्य दे रहे थे। उन्होंने कहा कि ज्ञान अस्मिता का विषय है, और इसे संस्कार और मूल्यों के साथ जोड़ना चाहिए। राष्ट्र को समृद्ध बनाने के लिए, हमारे अंदर की मानवता को जगाना होगा। स्वयं दत्तात्रेय शेकटकर और लायंस क्लब के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय निदेशक नरेंद्र भंडारी को पूर्व विधायक प्रो. मेधा कुलकर्णी के हाथों 'सूर्यभूषण अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार' प्रदान किया गया। इस अवसर पर 'सूर्यदत्त ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष शिक्षाविद प्रो. डॉ संजय चोरडिया, उपाध्यक्ष सुषमा चोरडिया, समूह निदेशक डॉ शैलेश कासंडे, कार्यकारी विकास अधिकारी सिद्धांत चोरडिया, सामाजिक कार्यकर्ता सीमा दाबके सहित शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस दौरान महाएनजीओ फेडरेशन के संस्थापक शेखर मूंदड़ा, वरिष्ठ संपादक और लेखक अरुण खोरे, मनोचिकित्सक डॉ नितिन दलाया, लेप्रोस्कोपिक सर्जन पुष्कराज करमरकर, स्पाइन सर्जन डॉ रमेश रांका को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रो. मेधा कुलकर्णी ने कहा कि जरूरतमंद लोगों की मदद करने का हमारा रवैया संतोषजनक है। इसलिए हमें इस पर ध्यान देना चाहिए कि हम जो करते हैं, उसे क्यों करते हैं और दूसरों के लिए इसका कितना फायदा होगा। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सूर्यदत्ता ग्रुप के फाउंडर चेयरमैन शिक्षाविद डॉ संजय चोरडिया ने कहा कि आदर्श व्यक्तित्वों को सम्मानित करके छात्रों और शिक्षकों के लिए एक उदाहरण स्थापित करने का प्रयासभर है, जिन्होंने समाज और देश की प्रगति में उल्लेखनीय योगदान दिया है। लॉयन नरेंद्र भंडारी बोले कि लायंस क्लब के माध्यम से जरूरतमंदों और गरीबों के जीवन को खुशहाल बनाने की कोशिश अनवरत रूप से जारी हैं, जो पूरी दुनिया में मानवता की भावना से काम करता है। शेखर मुंदडा ने कहा कि कोरोना की इस अवधि के दौरान तीन लाख लोगों तथा महिलाओं को दीवाली के अवसर पर रोजगार प्रदान करके मदद दी गई। अरुण खोरे ने कहा, महाराष्ट्र सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक जत्था है, गांधीजी के कई आंदोलनों में महाराष्ट्रीय लोग भारी संख्या में रहते थे। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सामाजिक भावना को जीवित रखना चाहिए। इससे हमारा और हमारे समाज का विकास होता है। डॉ नितिन दलाया ने कहा कि हाल के दिनों में मानसिक बीमारियों की घटनाओं में वृद्धि हुई है। सोशल मीडिया का अति प्रयोग, निराशा, आहत भावनाओं और अवसाद मानसिक बीमारियों के शिकार लोगों की संख्या में वृद्धि कर रहे हैं। परामर्श और संवाद इससे बाहर निकलने के लिए प्रभावी हो सकते हैं।डॉ रमेश रांका ने कहा कि कोरोना की लड़ाई में भारतीयों द्वारा किया गया योगदान सराहनीय है। हालांकि, यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। इसलिए, हमें सभी नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। सूर्यदत्त ग्रुप की टीम जो काम आज भी उत्साह से कर रही हैं, वह प्रेरणादायक है। आज कोविड की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी नियमों का पालन करने के लिए बड़ी संख्या में शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी मौजूद थे। प्रो. सुनील धनगर द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया।