जाम्भाणी साहित्य पर राष्ट्रीय बेबीनार आयोजित, गुरु जम्भेश्वर की शिक्षाएं आज भी उपयोगी- मंत्री भँवर सिंह भाटी


 





बीकानेर, 11 नवम्बर। जाम्भाणी साहित्य अकादमी के 8वें स्थापना दिवस पर जाम्भाणी साहित्य अकादमी तथा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को ‘राजस्थानी भाषा व साहित्य को जाम्भाणी साहित्य का योगदान’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री भँवर सिंह भाटी ने कहा कि जाम्भाणी साहित्य राजस्थानी साहित्य की आत्मा है। गुरु जम्भेश्वर की शिक्षाएं आज के समय में भी उतनी ही उपयोगी है, जितनी 500 वर्ष पूर्व थीं। इन शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के लिये जाम्भाणी साहित्य सशक्त माध्यम है। भाटी ने जाम्भाणी साहित्य अकादमी द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी प्रकोष्ठ व उत्तर क्षेत्र मंडल संयोजक मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि राजस्थानी 12 करोड़ लोगों की भाषा है, इसे संवैधानिक मान्यता मिलनी चाहिये। उन्होंने जाम्भाणी साहित्य के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर विशेष बल देते हुए कहा कि मायड़ भाषा में रचित यह साहित्य अमूल्य रत्न है। समारोह के विशिष्ट अतिथि नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने कहा कि राजस्थानी भाषा का साहित्य बहुत समृद्ध है, इस समृद्ध परंपरा में जाम्भाणी कवियों का उल्लेखनीय योगदान है। विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मदन केवलिया ने कहा कि जाम्भाणी साहित्य जीवन-मूल्यों का साहित्य है। यह साहित्य जीवन जीने की राह दिखाता है। चूरू से वरिष्ठ राजस्थानी साहित्यकार डॉ. भँवर सिंह सामौर ने राजस्थानी भाषा और साहित्य की उत्पत्ति और विकास पर प्रकाश  डालते हुए कहा कि जाम्भाणी साहित्य के बिना राजस्थानी का इतिहास अधूरा है। पूर्व वरिष्ठ शोध अधिकारी डॉ. कृष्णलाल बिश्नोई ने जाम्भाणी साहित्य की रूपरेखा, स्वरूप और महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विद्वानों को जाम्भाणी साहित्य के शोध की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के डॉ. सुरेश सालवी ने जाम्भाणी साहित्य को पर्यावरणीय बोध का साहित्य बताते हुए कहा कि यह वर्तमान मंे बहुत प्रासंगिक है। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर की राजस्थानी विभागाध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी बोराणा ने राजस्थानी संत साहित्य के संदर्भ में जाम्भाणी साहित्य के महत्त्व को रेखांकित किया। कार्यक्रम में जाम्भाणी साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रा बिश्नोई ने स्वागत भाषण व अध्यक्ष स्वामी कृष्णानन्द आचार्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनमोहन लटियाल व संदीप धारणिया ने किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि व अन्य अतिथियों द्वारा जाम्भाणी साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित व एयर कमोडोर राजेन्द्र सिंह बिश्नोई द्वारा लिखित पुस्तक ‘ए ब्लू प्रिंट फॉर एनवायरमेंट’ और लघु पुस्तिका ‘जुगति मुगति’ का लोकार्पण भी किया गया। अकादमी के स्थापना दिवस की पूर्व रात्रि में गुरु जम्भेश्वर के भव्य जागरण का आयोजन किया गया, जिसमें स्वामी सच्चिदानन्द आचार्य, स्वामी स्वरूपानन्द, मास्टर सहीराम, गायक रामस्वरूप खीचड़, हनुमान धायल ने साखी, भजनों के माध्यम से गुरु जम्भेश्वर की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। प्रातःकाल यज्ञ का आयोजन कर विश्वमंगल की कामना की गई । इस अवसर पर अकादमी संरक्षिका डॉ सरस्वती बिश्नोई, आईपीएस देवेंद्र बिश्नोई, राजस्थानी भाषा अकादमी सचिव शरद केवलिया, राजाराम धारणिया, डॉ. बनवारीलाल साहू, मोहनलाल लोहमरोड़, आर के बिश्नोई, डॉ. अनिला पुरोहित, कृष्णलाल खीचड़, हंसराज पटवारी, डॉ. ओमप्रकाश भादू सहित अकादमी के पदाधिकारी उपस्थित थे। जूम प्लेटफॉर्म पर आयोजित इस वेबिनार में देशभर के लगभग 2500 विद्वानों ने भाग लिया।