रतलाम। दिव्यानंद निराले बाबा पशु पक्षी हॉस्पिटल के विशाल परिसर में समन्वय मिशन के प्रेरक जैनाचार्य दिव्यानंद सूरीश्वरजी महाराज साहब ने पर्यावरण संगोष्ठी के कार्यक्रम में कहा कि पुत्र के जन्म लेने पर उसके खाने पीने रहने की संपूर्ण व्यवस्था करते हैं तो फिर ऑक्सीजन के लिए पेड़ क्यों नहीं लगाते हैं। वे बोले, जिसने पेड़ नहीं लगाया उसे ऑक्सीजन लेने का कोई अधिकार नहीं है।उन्होंने कहा कि वृक्ष धर्म व संस्कृति का आधार है तथा धर्म का प्राण है। वृक्ष का कोई विकल्प नहीं है। निराले बाबा ने कहा कि एक वृक्ष की सेवा करना माता पिता और परमात्मा की सेवा से बढ़कर है, क्योंकि इनके सहयोग के बिना प्राणी एक पल भी जिंदा नहीं रह सकते। राष्ट्रसंतश्रीजी ने कहा कि प्रकृति की रक्षा करना धर्म, भगवान और मोक्ष की रक्षा करने से बढ़कर है। वृक्ष को काटना अपने पांव पर कुल्हाड़ी चलाने के समान है। जैन संत ने यह भी कहा कि आध्यात्मिक संस्कृति में वृक्ष जल, पहाड़, धरती को भगवान की भांति पूजनीय माना है। उपासना पद्धति के माध्यम से इनका नुकसान और छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। निराले बाबा ने बताया कि धर्म के उपासना कर्मकांड के अंदर होली, दिवाली, दुर्गा पूजा, गणेश चतुर्थी, रमजान आदि धार्मिक पर्व पर प्रकृति नष्ट हो रही है। धर्म आचार्यों को मिलकर प्रकृति की रक्षा को ध्यान में रखकर उपासना पद्धति का निर्माण करना होगा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में गणपत जाधव राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व तहसील प्रमुख जावरा व पूर्व एकल विद्यालय प्रांत योजना थे, जिन्होने पर्यावरण संरक्षण पर विचार रखे। लोकेन्द्र गहलोत, मुकेश मालवीय, पंकज जोशी, राकेश शर्मा, लवी संचेती आदि भक्तजन उपस्थित थे। परिसर में ही आचार्य श्री की निश्रा में सामूहिक रुप से पौधारोपण भी किया गया ।
एक वृक्ष की सेवा करना माता पिता और परमात्मा की सेवा से बढ़कर : राष्ट्रसंत निराले बाबा