जैन धर्म की परंपराओं को अपना रहा पूरा विश्व : राष्ट्रसंत डॉ वसंत विजय जी महाराज साहब

 


 कृष्णगिरी तीर्थ धाम के 18वें वार्षिकोत्सव पर चढ़ाई ध्वजा, मंत्रोच्चार के साथ गुंजा पुण्याहम पुण्याहम-प्रिंयताम प्रिंयताम.. 


कृष्णगिरी। तमिलनाडु प्रांत के विश्वविख्यात श्रीपार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ धाम के 18वें ध्वजारोहण प्रसंग को पीठाधीपति, राष्ट्रसंत, शांतिदूत परम् पूज्य डॉ वसंत विजय जी महाराज साहेब एवं साध्वीजी डॉ विद्युतप्रभाजी आदि ठाणा की पावन निश्रा में धूमधाम से व हर्षोल्लास पूर्वक भक्ति भाव से मनाया गया। सरकारी दिशा निर्देशों की पालना के साथ संपन्न हुए इस आयोजन में तीर्थ धाम में प्रतिस्थापित समस्त चमत्कारिक प्रतिमाओं का भव्य एवं अति दिव्य-विशिष्ट श्रृंगार अभिषेक पूजन हुआ। यही नहीं सेनिटाइजेशन के साथ रंग रोगन, आकर्षक इलेक्ट्रिक रोशनी एवं पुष्पों से भी पूरे तीर्थ धाम परिसर को सजाया गया। मंत्रोच्चारों की गूंज व पुण्याहम-पुण्याहम, प्रिंयताम-प्रिंयताम.. के जोशीले उद्घोष के साथ तीर्थ धाम में ध्वजारोहण किया गया। विशाल श्री सहस्रफना पार्श्वनाथ भगवान, शक्ति पार्श्वनाथ भगवान, मां पद्मावती देवी, 2200 वर्ष प्राचीन संप्रति कालीन प्राचीन श्रीआदिनाथ भगवान के जिनालय, त्रिनेत्र पद्मावतीजी मंदिर, महालक्ष्मीजी मंदिर, सरस्वतीजी मंदिर, भोमियाजी मंदिर, गौतम स्वामी मंदिर, क्षेत्रपाल काले भैरव मंदिर, श्रीनागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर इत्यादि 36 विभिन्न मंदिरों में सत्तर भेदी पूजन के साथ सभी ध्वजा धूमधाम से चढ़ाई गई। इस मौके पर तीर्थ धाम के सभी मूर्तियों को भव्यातिभव्य रुप से पुष्पों से श्रृंगार किया गया एवं मंदिर को सजाया गया। कष्ट निवारक-समृद्धि प्रदायक अनेक बीज मंत्रो के साथ संगीतमय संध्या भक्ति एवं अन्य कार्यक्रम भी संपन्न हुए। पूज्य गुरुदेवश्रीजी ने सभी ध्वजाओं को अभिमंत्रित किया एवं साथ ही वासखेप किया। इस दौरान डॉ वसंत विजय जी ने देश और दुनिया पर आई विभिन्न आपदाओं से निवृत्ति हेतु मंगल पाठ किया। साथ ही अपने दिव्य आशीर्वचन-प्रवचन संदेश में कहा कि एक साधक एवं श्रावक के लिए मैं भी सुखी रहूं और जगत भी खुश रहे यह भाव स्वर्ग के द्वार खोलता है। उन्होंने कहा कि जिन शब्दों से हमारा कल्याण होता है और जो उत्कृष्ट या श्रेष्ठ रूप से प्रस्तुत किया जाता हो, वही प्रवचन है अर्थात जो प्रकृष्ट-उत्कृष्ट वचन है, वही प्रवचन व्यक्ति के लिए कल्याणकारी होता है। विश्व के समस्त प्राणी मात्र के लिए दया भाव रखने वाले, अहिंसा के वाहक जैन धर्म की महत्ता विशेषता पर भी प्रकाश डालते हुए डॉ वसंत विजय जी ने कहा कि आज पूरा विश्व जैन धर्म की वर्षो पुरानी परंपराओं को अपना रहा है। उन्होंने कहा कि परमात्मा के मंदिरों का स्थापना दिवस-उत्सव उल्लास पूर्वक मनाने से व्यक्ति के पाप कटते हैं। विद्वान साध्वीश्री डॉ विद्युतप्रभाजी ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि कृष्णगिरी तीर्थ धाम की महिमा विशाल और अनूठी मिसाल प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि भगवान की पूजा, भक्ति-ज्ञान एवं विवेक सहित श्रद्धा से ही होनी चाहिए। इस अवसर पर राष्ट्रसंतश्रीजी की प्रेरणा से गुरुभक्तों द्वारा बड़ी संख्या में जरूरतमंद लोगों को राहत सामग्री बांटने का संकल्प भी लिया गया।