परमात्मा के अभिषेक विधान से होता पाप-दोषकर्मों का नाश : राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा.










"प्रभु के दिव्य दर्शन एवं गुणों का स्मरण कराता है 18 अभिषेक विधान"


 -कृष्णगिरी में उच्च कोटि के 18 अभिषेक के बाद आज सत्तरभेदी महा पूजन व ध्वजारोहण 


कृष्णगिरी। श्री पार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थ धाम कृष्णगिरी (तमिलनाडु) के ऐतिहासिक 20वें वार्षिक ध्वजारोहण प्रसंग पर यहां तीन दिवसीय भक्ति एवं उल्लासमय कार्यक्रमों की व्यापक श्रंखला जारी है। इसी क्रम में शनिवार को दूसरे दिन 36 जिनालयों सह देवकुलिकाओं में 18 अभिषेक का विधान शक्तिपीठाधीपति, राष्ट्रसंत, सर्वधर्म दिवाकर परम पूज्य गुरुदेव श्रीजी डॉ वसंतविजयजी महाराज साहब के पावन सान्निध्य में हुआ। इस दौरान परमात्मा के लिए उत्कृष्ट कोटि के 18 अभिषेक विधान को विधि पूर्वक मंत्रों की गूंज के साथ संपन्न किया गया। आयोजन की वृहद स्तर की भाव भंगिमा में धाम में चहुं ओर के वातावरण में केशर, चंदन व गुलाब इत्यादि के सुगंधित एवं खुशनुमा माहौल बना है, ऐसे में 36 जिनालयों के गर्भ गृहों में लाभार्थी परिवारों सहित धाम में पहुंचे सभी श्रद्धालुओं को शुद्धता के साथ इस पवित्र एवं अद्भुत पूजाभिषेक का लाभ दिया गया। पूजन अभिषेक में अष्ट द्रव्य, अनेक पवित्र नदियों के जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, दीप, धूप, फल, अर्ध व जयमाल इत्यादि से भक्तिपूर्वक श्रद्धायुक्त प्रभु के गुणों का स्मरण किया गया।इस अवसर पर पूज्य गुरुदेवश्रीजी डॉ वसंतविजयजी महाराज साहब ने कहा कि धर्म ग्रंथों के अनुसार व्यक्ति के दुख व कष्टों का कारण उसके द्वारा जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्म होते हैं, परमात्मा के अभिषेक विधान से व्यक्ति के समस्त पाप कर्म दोष, नष्ट होकर तथा इनका निवारण होकर उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। उन्होंने बताया कि अनादिकाल से चली आ रही जिन प्रतिमाओं के अभिषेक पूजन की परंपरा से प्रभु के दर्शन व उनके गुणों का स्मरण होता है। प्रभु के गुणों की प्राप्ति कराने वाले इस विधान में तन-मन से शुद्ध भाव एवं पवित्रता का होना अनिवार्य है। पूज्य गुरुदेव ने यह भी बताया कि भगवान के अभिषेक के जल से प्राप्त गंधोदक से अष्ट कर्मों की शक्ति भी दूर होती है, यही नहीं वैज्ञानिक प्रमाण है कि इस अभिषेक के जल को यदि व्यक्ति अपने उत्तमांग में लगाए तो शरीर में स्थित हिमोग्लोबिन में वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि भाव पूर्वक सामूहिक रुप से परमात्मा के अभिषेक से प्रकृति में संतुलन, असाध्य रोगों से मुक्ति व प्राणी मात्र के सर्व शुभ कार्य सिद्ध होकर सर्व मंगल होता है। विधिकारक रत्नेश मेहता के माध्यम से हुए 36 जिनालय सहदेव कुलिकाओं में इस विधान में चरणाभिषेक, मस्तकाभिषेक, पंचामृत अभिषेक, प्रक्षालन, शांतिधारा, जलाभिषेक व वेशभूषा आदि अनेक विधियों को पूर्ण कराया गया। 


गुजरात के मंत्री अहीर सहित यह रहे उपस्थित..


तीर्थ धाम के डॉ संकेश जैन ने बताया कि कार्यक्रम में गुजरात सरकार में मंत्री वासन भाई अहीर ने भी शिरकत की। इस दौरान श्रमण संघीय संतश्री पंकजमुनिजी, डॉ वरुणमुनिजी, डॉ वज्रतिलकजी, साध्वीश्री पुण्यशीलाजी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। उन्होंने बताया कि रविवार को 10:00 बजे से स्नात्र महोत्सव एवं श्री सत्तरभेदी महापूजन तथा विजय मुहूर्त 12.39 बजे शिखर ध्वज का परिवर्तन कर नई ध्वजा का आरोहण किया जाएगा। आयोजन में देश और दुनिया के विभिन्न देशों, राज्य-शहरों से श्रद्धालु गुरुभक्त शामिल हुए हैं। सभी के आतिथ्य सत्कार में स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जा रहे हैं। रात्रि में भजन संध्या, अनेक हास्य कलाकारों द्वारा मनोरंजक प्रस्तुतियां दी गई। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पूज्यश्री डॉ वसंतविजयजी म.सा. के अधिकृत-वेरिफाइड यू ट्यूब चेनल थॉट योगा पर किया जा रहा है।