–पावापुरी के गुणायाजी तीर्थ पर श्रद्धालुओं का उमड़ेगा सैलाब
पावापुरी। परमात्मा महावीर की देशनाभूमि व प्रथम गणधर श्रीगौतम स्वामी के केवलज्ञान भूमि जीर्णोद्धार कार्य का शिलान्यास 25 मई को किया जा रहा है। श्री जैन श्वेताम्बर भंडार तीर्थ पावापुरी श्री गौतम स्वामी गुणायाजी तीर्थ जीर्णोद्धार समिति की ओर से आयोजित शिलान्यास का भव्य आयोजन समस्त गच्छों व समुदाय के समस्त आचार्य भगवंत के आशीर्वाद सहित पू.गुरुदेव अवन्ति तीर्थोंद्धारक गच्छाधिपति आचार्य प्रवरश्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा व पू. डॉ. श्री विद्युतप्रभाश्रीजी म.सा के मार्गदर्शन में किया जाएगा। शिलान्यास समारोह में निश्रादाता शासनप्रभावक आचार्यश्री पद्मसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य (शिस्कर्जीवाले) पू.सूरी मंत्रसमाराधक आचार्यश्री महानंदसूरीश्वरजी म.सा. एवं प.पू. मूनिश्री अभिषेकविजयजी म.सा. आदि ठाणा तथा पू.यतिवर्य राष्ट्रसंतश्री वसंतविजयजी म. सा., पद्मश्री विभूषित आचार्यश्री चंदनाजी की पावन उपस्थित रहेगी। उल्लेखनीय है कि इस दिन का जैन श्रद्धालुओं को काफी दिनों से इंतजार था। श्री महावीर स्वामी परमात्मा के मुख्य शिला के लाभार्थी संघवी श्रीमती पानीदेवी मोहनलालजी मुथा, सोनवाड़िया परिवार एवं श्री गौतम स्वामी के मुख्यशिला के लाभार्थी स्व. पिताजी मेहता शंकर लालजी एवं स्व. मातृश्री वरजुदेवी (लुंकड) परिवारवाले हैं। इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने हेतु जीरावाला ट्रस्ट अध्यक्ष एवं नाकोड़ा ट्रस्ट के पदाधिकारियों सहित विशिष्ट ट्रस्ट व संगठन के पदाधिकारी गणों की उपस्थिति रहेगी। इनके अतिरिक्त अपनी मधुर भक्ति स्वर की सरिता प्रवाहित करने के लिए नरेन्द्र वाणीगोता की भक्तिमय उपस्थित रहेगी। यह जानकारी आयोजन से जुड़े बाबू भाई मेहता ने दी।
यूं रहेगा कार्यक्रम..
बाबू भाई मेहता ने बताया कि दो दिवसीय कार्यक्रम का आरंभ मंगलवार 24 मई की रात भव्यातिभव्य भक्ति समारोह गुरु गौतम स्वामी भगवान के चरणों में श्रेष्ठवर्य दीपक भाई बारडोली के द्वारा किया जाएगा। बुधवार, 25 मई की सुबह स्नात्र पूजा, कुंभ स्थापना, दीप स्थापना, नवग्रह पूजन, दशदिक् पाल पूजन, अष्टमंगल पूजन के बाद विधि विधान के साथ शिला स्थापना विधान प्रारंभ होगा। उन्होंने बताया कि विधि कारक राजू भाई सुरेश कुमार शाह, मलकापुर, महाराष्ट्र वाले होंगे।
इतिहास के झरोखे से..
परमात्मा महावीर ने केवल ज्ञान प्राप्त करने के बाद आपापापुरी (वर्तमान में पावापुरी) की ओर विहार किया। योग बना की महावीर पर विजय प्राप्त करने के लिए गौतम स्वामी व्याकुल थे। वे समवशरण में पहुंचे। परमात्मा महावीर तो केवल ज्ञानी थे। उन्होंने इंद्र भूति के हृदय को पढ़ लिया। उनकी शंकाओं का निवारण बिना उनके कुछ कहे ही कर डाला। ज्ञानी इंद्रभूति का अहंकार चूर-चूर हो गया और फिर उन्होंने परमात्मा के चरणों में खुद को समर्पित कर दिया। पहले गंणधर बने। वे केवली नहीं थे पर उन्होंने जिनको भी दीक्षा दी वे सभी केवली बन गए, इसलिए वे परम लब्धि निदान कहलाए। उनको महावीर के मंगलमय सान्निध्य का लाभ 30 वर्षों तक मिला। महावीर प्रभु का निर्वाण का समय नजदीक आ रहा था। कार्तिक वदी चतुर्दशी की सुबह प्रभु ने गौतम स्वामी से कहा कि जाओ पास के गांव में देव शर्मा नामक ब्राह्मण को प्रतिबोधन देना है। गुरुवर की आज्ञा पाकर गौतम स्वामी खुशी से उसका पालन करने निकल पड़े। वापसी में उन्होंने गुणीयाजी गांव में रात्रि वास किया। कार्तिक वदी अमावस्या की रात्रि परमात्मा महावीर की अखंड देशना गतिमान थी, रात्रि पूरी होने में दो घड़ी बाकी थी परमात्मा ने अक्षय अनुपम अंतर निर्वाण प्राप्त कर लिया। देवों के परस्पर संवाद से स्वामी गौतम ने जाना कि परमात्मा महावीर का निर्वाण हो गया है। वे तड़प उठे। रुदन करने लगे, खुद से दूर भेजे जाने पर उलाहना देने लगे। जब उनके अंदर का राग समाप्त हुआ तभी वे वितरागी बन गए और उन्हें इस पवित्र भूमि में केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई।
साधना के अनूठे केन्द्र की होगी स्थापना..
यह वह पवित्र स्थान है जहां पर जैन धर्म के परमात्मा महावीर की वाणी कण-कण में आज भी विद्यमान है। जिस स्थान पर परमात्मा के समवशरण लगे। परम आत्मज्ञानी , अनन्त लब्धि निधान, भक्ति निधान एवं विनय निधान महात्मा गणधर गौतम स्वामी को इसी भूमि पर केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उसी गुणीयाजी तीर्थ देव भूमि तीर्थ का आमूलचूल जीर्णोद्धार होने जा रहा है। जहां परमात्मा महावीर की समवशरण की रचना होगी। गौतम स्वामी के चौमुख विराजमान होंगे। साधना का अनूठा केंद्र स्थापित होगा। इस भूमि के जीर्णोद्धार के क्रम में समिति के सतत प्रयास से चार वर्षों में यहां भव्य मंदिर , म्यूजियम, गेस्ट हाउस, साध्वी, संतों के ठहरने के लिए बेहतरीन व्यवस्था तो होगी ही साथ ही वर्ल्ड सेंटर आफ नालेज आन जैनिज्म, ध्यान केन्द्र भी बनाया जा रहा है। श्री जैन श्वेतांबर भंडार तीर्थ पावापुरी एवं श्री गुणायाजी गौतम स्वामी जीर्णोद्धार समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र पारसान, समिति के संयोजक तेजराज गुलेछा, निर्माण योजना संयोजक रमेश मुथा, निर्माण संयोजक महावीर मेहता, ट्रस्टीगणों में जेसी.शंचेती, शांतिलाल बोथरा, प्रदीप कुमार बोयडे, सुभाष बोथराव व तिलोकचंद पारिख आदि शमिल है।