हिंदुस्तान डायबिटीज का सबसे बड़ा हब, हार्ट प्रोब्लम के लिए बीपी रिस्क फैक्टर : डॉ. राजू व्यास







नियमित एक घण्टा एक्सरसाइज के साथ-साथ ऑर्गेनिक गेहूं-चावल-दाल उगाकर खाएं 


बीकानेर। हिंदुस्तान डायबिटीज का सबसे बड़ा हब बन गया है। वर्तमान दौर में युवावस्था में ही लोगों को डायबिटीज होना रिस्क फैक्टर है। साथ ही साथ डाईट में नमक का सेवन ज्यादा लेने से युवावस्था में ही ब्लड प्रेशर होता है उसके लिए खान-पान पर ध्यान देने के साथ-साथ नियमित एक घंटा एक्सरसाइज, ऑर्गेनिक गेहूं-चावल-दाल उगार खाएंगे तभी फायदे में रहेंगे। यह कहना है फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग, नई दिल्ली के सीनियर कंसलटेंट कार्डियक सर्जन डॉ. राजू व्यास का। यहां सार्दुलगंज स्थित आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर में बाइपास सर्जरी के रोगियों के लिए दो दिवसीय विशाल परामर्श शिविर में आए डॉ. व्यास ने बताया कि नॉर्मली खान-पान में नमक के ज्यादा सेवन से मेजर फैक्टर सामने आते हैं। जिससे ब्लडप्रेशर [बीपी] से हार्ट प्रोब्लम के लिए रिक्स फैक्टर माना जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य में घी, तेल का इंटेक ज्यादा है। इससे बॉडी में गंदा कॉलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बनता है वो भी एक रिस्क फैक्टर ही है। इससे छोटी उम्र में ही हार्ट की प्रोब्लम की संभावना अधिक रहती है। डॉ. राजू व्यास ने बताया कि आज से 25-30 साल पहले जब उन्होंने प्रेक्टिस शुरु की थी तब ओपीडी में ज्यादातर मरीज दिखाने आने वालों की उम्र लगभग 50 या 60 से अधिक उम्र की थी और वे हार्ट की प्रोब्लम लेकर आते थे। लेकिन अब यह पैटर्न पिछले 5 से 10 सालों में एकदम बदल सा गया है। वर्तमान में हमारे ओपीडी में आने वाले लोगों की उम्र तकरीबन 45 से 60 वर्ष के बीच की सबसे अधिक है। बीते कई सालों में काफी कुछ चेंज देखने को मिला है उसके कई सारे फैक्टर्स है। नमक का सेवन अधिक होने से बीपी जल्दी होती है, लोग सीरियस्ली नहीं लेते और समय पर दवाईयां नहीं लेने से यह जानलेवा हो जाता है। साथ ही हमारी एक्सरसाइज की कमी भी है। हमारी दिनचर्या में 45 मिनट या एक घंटा एक्सरसाइज करेंगे तो बढिय़ा होगा। 


फिजिकल एक्टिवेट बहुत जरुरी..


डॉ. व्यास के मुताबिक भाग-दौड़ भरी जिंदगी की आपा-धापी इतनी तेज हो गयी है उसके लिए फिजिकल एक्टिवेट बहुत जरुरी है। यदि एक्सरसाइज नहीं करेंगे तो युवावस्था में एक रिस्क फैक्टर का सामना करना पड़ सकता है। खान-पान पर ध्यान देना चाहिए। वर्तमान में जितने भी फूड्स, वेजिटेबल, मिल्क, गेहूं, दाल में कैमिकल्स की मात्रा इतनी अधिक है वह भी एक कारण है। इसके लिए पुरानी सोच पर हमेें जाना होगा। हमें पुन: नए सिरे से कैमिकल्स का इस्तेमाल कम करना होगा, खाद पर जाना शुरु करें, ऑर्गेनिक गेहूं, चावल, दाल उगाकर ही खाएं। जो स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है। यदि समय रहते चेत जाएंगे तो दिल की बीमारियों से बच पाएंगे।