बीकानेर का जर्रा-जर्रा महक उठा 'वैवाहिक खुशबू' से !, गली-गली गूंजा 'हर आयो-हर आयो, काशी रो वासी आयो....'




















बीकानेर, 18 फरवरी (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। पांच शताब्दी से भी अधिक पुरानी हैरिटेज सिटी व छोटीकाशी नाम से देश ही नहीं दुनियाभर में विख्यात छोटीकाशी बीकाणा बीकानेर की कुंज गलियों में शुक्रवार को किसी को किसी से 'हाय-हैल्लो' करने की फुर्सत नहीं, पुष्करणा समाज के जिन घरों में ओलम्पिक विवाह के मौके पर शादी थी वे आगे-आगे और पीछे उनके परिवार के सदस्य, कोई मायरा भरने जा रहे थे तो कोई खिरोड़ा लेकर अपने परिवार के साथ निकल रहे थे। शहर का जर्रा-जर्रा वैवाहिक खुशबू से महक उठा। जैसे ही गली के नुक्कड़ पर पहुंचे तो सामने से कोई अन्य मायरा लेकर निकल रहा था तो सामने से ही कोई और खिरोड़ा लेकर 'आमने-सामने' हुए। किसी ने किसी से कोई बात नहीं की और सिर्फ 'जै श्रीकृष्ण' ही बोले क्यूंकि सभी पुष्करणा समाज के ओलम्पिक सामूहिक सावे में व्यस्त थे। वैवाहिक गीतों से महिलाओं ने शहर के अंदरुनी क्षेत्र की गलियों को गूंजायमान बना रखा था। इतना ही नहीं गीतों के माध्यम से 'सगे-सगियों'[सगे-सम्बन्धियों] पर छींटाकशी, सवाल-जवाब, हंसी-मुहब्बत, प्यार से बातें किए जा रहे थे। रोज ऐसा नहीं होता लेकिन एक बार फिर विशेष अवसर 'गौरीशंकर-अम्बिकाÓ नाम के वैवाहिक समारोह जो पुष्करणा समाज का था। पारम्परिक पुरातन संस्कृति का सचेतन रुप आज भी जीवन्त देखा और युवा पीढ़ी को भी दिखाया गया। युवाओं ने भी अपनी परम्पराओं से जुड़कर निर्वहन किया, शाम होने से काफी पहले लगभग चार बजे बिना घोड़ी, रथ, बाजा के शंखध्वनि और झालर झंकार के बीच बनियान, पीतांबर और खिड़किया पाग पहने नंगे पैर विष्णुरुपी दूल्हों का सम्मान ही नहीं बल्कि युवाओं ने जुड़कर भी दूल्हों के परिवारजनों, बारातियों की जमकर मान-मनुहार की।


जनम-जनम के लिए अपनी दूल्हन लेने के लिए पहुंचे ससुराल

पुष्करणा समाज का ओलम्पिक विवाह को एक बार फिर शहरवासियों ने देखा ही नहीं बल्कि जिन घरों में शादीयां थीं उन्होंने बाकायदा एक बार फिर अपनी पारम्परिक पृष्ठभूमि के लिए जगप्रसिद्ध शहर बीकानेर में परम्पराओं का निर्वहन बखूबी तरीके से निभाया। चहुंओर से मायरा, खीरोड़ा की धूम रही तो पांच बजे के बाद शहरभर में दूल्हे जनम-जनम के लिए अपनी दूल्हन को लेने के लिए अपने ससुराल पहुंचे। एक बार फिर से शहर की रमक-झमक बारहगुवाड़ चौक में सर्वाधिक देखने को मिली। रमक झमक के प्रहलाद ओझा 'भैरु' ने बताया कि अभिषेक रंगा, लव कुमार देराश्री व दीपक ओझा को 'शीरे पावणा बींद राजा' खिताब से नवाजा गया वहीं दो दूल्हों को श्रीनाथजी की ट्रेवल यात्रा का वाऊचर भी प्रदान किया गया। फूड सिटी की ओर से डिनर कूपन दिया। इसके अलावा मोहता चौक, रत्ताणी व्यास चौक में भी पहले पहुंचने वाले विष्णुरुपी दूल्हों का सम्मान किया गया। मोहता चौक में श्री पुष्टिकर ब्राह्मण सामूहिक सावा व्यवस्था समिति तथा रत्ताणी व्यास चौक में रत्ताणी व्यास पंचायत बगेची द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में श्रीनारायण आचार्य [बीकानेर हलचल], ओंकार हर्ष सहित अनेक मौजूद रहे।


सावा संस्कृति से रुबरु होने पहुंचे देशभर से लोग

पुष्करणा समाज के ओलम्पिक विवाह समारोह को देखने के लिए प्रवासी बीकानेरी जो शहर से बाहर रहते हैं, शुक्रवार को एक बार फिर अपनी जन्मभूमि बीकानेर में सावा संस्कृति से रुबरु हुए। देशभर में फैले पुष्करणा समाज के लोग मुम्बई, कोलकाता, नई दिल्ली, चैन्नई, हैदराबाद, रायपुर सहित अनेक राज्यों के शहरों में निवास करते हैं वे भी समाज की इन परम्पराओं और अधिक से अधिक युवाओं की सहभागिता बढऩे से काफी प्रफुल्लित दिखे। 


पुष्करणा समाज दिल्ली एनसीआर ने बांटे चांदी के सिक्के सहित शर्ट-पेंट का कपड़ा

शहर के बारहगुवाड़ चौक पहुंचने वाले पहले, दूसरे और तीसरे विष्णुरुपी दूल्हा को पुष्करणा समाज दिल्ली एनसीआर की ओर से पारितौषिक वितरण व सहयोग किया गया। कार्यक्रम से जुड़े उमेश पुरोहित ने बताया कि अध्यक्ष रितेश पुरोहित, उपाध्यक्ष विष्णुकुमार व्यास ने पहले दूल्हे को 10 ग्राम के 5 चांदी के सिक्के, दूसरे दूल्हे को 10 ग्राम के 3 सिक्के व तीसरे दूल्हे को 10 ग्राम के 2 सिक्के प्रदान किए। वहीं शर्ट-पेंट का कपड़ा भी दिया गया।