CK NEWS बीकानेर। गोपीनाथ भवन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा का सार पंडित जितेंद्र आचार्य ने जड़भरत जी की कथा बताते हुए कहा कि जीवन में व्यक्ति को किसी चीज या जीव में आसक्ति नहीं रखनी चाहिए और किसी भी महापुरुष का अपराध नहीं करना चाहिए वरना उसकी गति बहुत बुरी होती है। इसलिए सच्चे और सत्संगी लोगों के बीच रह कर उनका सत्संग प्राप्त करना चाहिए। अंतिम सत्र में प्रह्लाद जी की कथा करते हुए पं. जितेंद्र आचार्य ने बताया कि जीवन में प्रभु के नाम का श्रवण, कीर्तन, स्मरण, चरणों की सेवा, पूजा करना, वंदना व अपने आप को भगवान का दास बनाना और मित्र बनना व आत्म निवेदन करना इस नवधा भक्ति से बड़ा दुनिया में कोई साधन नहीं है। श्रीमद्भागवत कथा के दौरान ही हिरण्यकश्यप का वध व नरसिंह अवतार की झांकी भी दिखाई गई।
पं. जितेंद्र आचार्य : सच्चे और सत्संगी लोगों के बीच रहकर सत्संग प्राप्त करें