अपने जीवन काल में अंगदान की घोषणा कर अंगदान को प्रोत्साहन दें : दीपक टाटिया





-अंगदान, कब ? क्यों ? कैसे ?


जयपुर। हर धर्म एवं संस्कृति में दान का महत्व रहा है व धन दान, अन्न दान, विद्या दान व अभय दान आदि कई प्रकार के दान का उल्लेख पाया जाता है। वर्तमान समय में सबसे उत्तम दान अंग दान माना जा सकता है क्योंकि अंगदान द्वारा ही मनुष्य अपने जीवन के पश्चात मरण आसन आठ अंगों के माध्यम से मनुष्य जीवन की रक्षा कर जीवनदान दे सकता है, जो की अमूल्य दान होता है अर्थात जो अंग करोड़ों/अरबों रूपये देकर भी प्राप्त करना संभव नहीं हो सकता है उसका मृत्यु उपरांत दान हमेशा सर्वोत्तम व अमूल्य दान की श्रेणी में आता है। इस जानकारी के साथ यहां राजधानी की अंगदान जागरुकता संस्था डोनेट ऑर्गन फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी व संस्था के माध्यम से राजस्थान को भारत के अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में कार्यरत दीपक टाटिया बताते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन काल में अंगदान की घोषणा दर्ज करवा कर अंगदान को प्रोत्साहन दे सकता है। उन्होंने बताया कि भारत में प्रतिवर्ष तकऱीबन पाँच लाख से अधिक व्यक्ति अंग अनुपलब्धता के कारण असामयिक काल कवलित हो जाते है, वहीं करोड़ों अंग मृत्यु पश्चात अज्ञानतावस जला कर राख कर दिये जाते हैं या मिट्टी में दफना दिये जाते हैं जो कि शोचनीय है। दीपक टाटिया के मुताबिक मनुष्य की रोगग्रस्त या असामयिक दुर्घटनाग्रस्त होने पर हॉस्पिटल में मृत्यु होने पर उसके परिजनों की स्वीकृति होने पर ही मृत घोषित व्यक्ति के शरीर के आठ प्रमुख अंग (हृदय, किडनी, फेफड़े, लिवर, अग्नाशय आदि) उसके शरीर से निकाल कर दूसरे व्यक्ति के शरीर में क़ानून की निगरानी में अत्यधिक जरुरतमंद मरणासन व्यक्तियों को अत्याधुनिक चिकित्सकीय प्रणाली द्वारा नि:शुल्क लगा दिया जाता है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि मृत व्यक्ति का शरीर केवल पोस्टमार्टम की स्थिति में होने  वाली प्रक्रिया से पूर्णत: सम्माजनक परिस्थिति में सक्षम चिकित्सकों द्वारा ही किया जाता है व अंगदान प्रक्रिया पूरी कर मृत देह परिवारजन को सुपुर्द कर दी जाती है। बकौल दीपक टाटिया अंगदान वर्तमान समय का सर्वोत्तम दान है व एक व्यक्ति मरणोउपरान्त अंगदान द्वारा आठ व्यक्तियों को जीवनदान देते हुए उनके माध्यम से जीवित रह सकता है। उन्होंने अपनी अपीली गुजारिश में कहा कि आओ हम सब आज ही मानवता के हितार्थ अमूल्य अंगदान का संकल्प लें व इसे चर्चा का विषय बनायें।