बीकानेर (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र [एनआरसीसी] ऊंटनी के दूध की लोकप्रियता व इसके प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए बढ़-चढ़कर प्रयास कर रहा है। केन्द्र में ऊंटनी के दूध पर अनुसंधान परीक्षण द्वारा यह स्पष्ट हो चुका है कि किसी भी अन्य पशु के दूध के स्वाद व गुणवत्ता की तुलना में यह दूध कम नहीं आंका जा सकता। यह जानकारी केंद्र के निदेशक डा. आर्तबंधु साहू ने कलेक्टर नमित मेहता द्वारा सपरिवार अवलोकन के दौरान दी गयी। डा. साहू ने बताया कि उष्ट्र से निर्मित उत्पादों की आमजन, सैलानियों में स्वीकार्यता को देखते हुए ऊंटनी के दूध को डेयरी व्यवसाय के रूप में अपनाने की प्रबल संभावनाएं है तथा यदि मूल्य संवर्धन (वेल्यु एडिसन) के तौर पर इसे अपनाया जाए तो यह ऊंटपालकों व किसानों को आर्थिक संबलता प्रदान करने में पूर्णतया सक्षम है। कलेक्टर को अवलोकन के इस अवसर पर उष्ट्र के विभिन्न पहलुओं पर चल रही शोध परियोजनाओं व ऊंटपालकों/किसानों एवं आमजन के हितार्थ केन्द्र की उपयोगिता व प्रचार-प्रसार संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत कराया गया। कलक्टर ने उष्ट्र संग्रहालय, मिल्क पार्लर, उष्ट्र डेयरी व उष्ट्र बाड़ों का अवलोकन किया। साहू ने बताया कि केन्द्र द्वारा ऊंटपालकों व किसानों हेतु केन्द्र में तथा नजदीकी गांवों में स्वास्थ्य शिविरों, प्रशिक्षण, गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। कार्यक्रमों/गतिविधियों द्वारा ऊंट व इसके पालकों को सुविधाएं मुहैया करवाई जाती है जिससे वे उष्ट्र पालन के व्यवसाय से लाभान्वित हो सके। कलक्टर के एडीएम प्रशासन बलदेव राम धोजक ने भी केंद्र की अनुसंधान व पर्यटन विस्तार संबंधी गतिविधियों में गहरी रूचि दिखाई तथा कहा कि निश्चित रूप से केन्द्र अपनी महत्ता सिद्ध करता है।
एनआरसीसी पहुंचे कलेक्टर मेहता : 'ऊंटनी के दूध की लोकप्रियता, लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए एनआरसीसी कर रहा बढ़-चढ़कर प्रयास'
• ChhotiKashi Team