भारत में महिला आर्थिक विकास तभी संभव जब हर महिला रोजगार को बनाएगी अपना उद्देश्य : डॉ. पी.एस.वोहरा





बीकानेर, 15 दिसम्बर (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। जाने-माने आर्थिक चिंतक डॉ. पी.एस. वोहरा ने कहा कि भारत में महिला आर्थिक विकास तभी संभव जब हर महिला रोजगार को अपना उद्देश्य बनाएगी। देश की कुल आबादी 48 प्रतिशत महिलाएं है परंतु सिर्फ रोजगार में संलग्न एक तिहायी ही है। महिला अधिकारिता विभाग एवं बीकानेर जिला उद्योग संघ के संयुक्त तत्वावधान में 'इंदिरा महिला शक्ति कौशल सामथ्र्य योजना' के अंतर्गत महिला सशक्तिकरण विषय पर अपने विचार के साथ ही अपनी पुस्तक 'कोरोना काल और आर्थिक मोर्चे के अवरोधक' के सम्बंध में डा. वोहरा ने यह बात कही। वोहरा ने कहा कि भारत की कुल 'एमएसएमईज' का मात्र 19 प्रतिशत ही महिलाओं के द्वारा संचालित हो रहा है। महिलाओं का वेतन भी पुरुषों के वेतन का 65 प्रतिशत हैं। 'बीएसई व एनएसई' पर लिस्टेड कम्पनीयों में मात्र 9 प्रतिशत महिलाएं ही उच्च पद पर आसीन है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दिन-प्रतिदिन कम्प्यूटर द्वारा ऑटोमेशन हो रहा है इससे वर्ष 2030 तक करीब 2 करोड़ ग्रामीण रोजगारों में संलग्न महिलाओं के सामने बेरोजगारी की समस्या भी खड़ी होने वाली हैं। डॉ वोहरा ने कहा कि आर्थिक विषमता भारत की बहुत बड़ी और गंभीर समस्या है और इसमें कमी तभी हो पाएगी जब महिलाएं आगे बढ़े और आर्थिक रोजगार को अपनाएं। साथ ही हमें महिलाओं को शिक्षित करने के अलावा उन्हें रोजगार के लिए प्रेरित करने की दिशा में कार्य करना चाहिए क्योंकि समाज में हम देखते हैं कि महिलाएं शिक्षित होने के बावजूद भी एक गृहणी के रूप में ज्यादा देखने को मिल रही है। जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष डी पी पच्चीसिया, जिला उद्योग केंद्र की महाप्रबंधक मंजू नैन गोदारा, महिला अधिकारिता विभाग की उपनिदेशक मेघा रतन, सुरेंद्र जैन, एवंत डागा सहित अनेक मौजूद थे। रविंद्र हर्ष ने संचालन किया।