हिंगलाजदान रतनू विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर बोले ; विश्व मानचित्र पर अपनी विशिष्ट पहचान रखता है राजस्थान









सीके न्यूज। छोटीकाशी। बीकानेर। वीर प्रसूता की धरती, शौर्य, त्याग, तपस्या, बलिदान की धरती, हेरिटेज एवं हॉस्पिटेलिटी (स्वागत सत्कार) के लिए विश्व मानचित्र पर अपनी विशिष्ट पहचान रखता है राजस्थान। राज्य सरकार, पर्यटन विभाग, राजस्थान पर्यटन विकास निगम [आरटीडीसी] अतिथि पर्यटकों की आवभगत, संरक्षा, सुरक्षा तथा अतिथि देवो भव: की भावना को प्रतिष्ठित करने में देश में सदैव अग्रणी रही है। आरटीडीसी एवं विभाग के ऊर्जावान अधिकारियों की टीम इस हेतू सदैव तत्पर एवं प्रयत्नशील रही है। आरटीडीसी इस हेतू बंगाल एवं राजस्थान को जोडऩे का भरसक प्रयास कर रही है और इसमें वे सफल भी रहे हैं। विगत डेढ़ वर्ष से अधिक समय ने कोविड-19 महामारी ने पूरे विश्व के पर्यटन को झकझोर कर रख दिया है लेकिन इस वर्ष पुन: पर्यटन जगत् को पंख लगेंगे ऐसी उम्मीद की जा रही है। इन सब बातों के साथ विश्व पर्यटन दिवस के मौके [27 सितम्बर] राजस्थान पर्यटन विकास निगम के कोलकाता एवं नॉर्थ इस्ट प्रभारी अधिकारी हिंगलाज दान रतनू ने राजस्थान की माटी का नमन् वंदन महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की कविता की इन पंक्तियों से किया कि 'ई ने मोतयां थाळ बंधावा, ई धूल लिलाड़ लगावां, ई रो मोटो भाग सरावां, धरती धोरां री धरती धोरां री'। रतनू ने पर्यटन दिवस की शुभकामनाएं देते हुए पश्चिम बंगाल एवं नॉर्थ इस्ट से राजस्थान पधारने वाले सभी घरेलू पर्यटकों [डोमेस्टिक] अतिथियों का स्वागत करता है। इस वर्ष बंगाल से दुर्गा पूजा वॉकेशन पर राजस्थान जाने वाले पर्यटक अतिथियों की संख्या बढ़ी है एवं दुर्गा पूजा पश्चात् दीपावली, नव वर्ष पर भी अच्छी खासी तादाद में बढ़ोत्तरी (बुकिंग) हो रही है। यह पर्यटन जगत के लिए शुभ संकेत है। इसके पीछे राजस्थान सरकार की अच्छी सोच, राजस्थान पर्यटन विभाग के उच्च अधिकारियों की कार्यशैली, आरटीडीसी के प्रबंधन की सकारात्मक सोच प्रशंसनीय है। रतनू ने बताया कि राजस्थान की पुरा वैभव, हैरिटेज, हॉसपिटेलिटी, परम्पराएं, वेशभूषा, तीज-त्यौंहार, मेले मगरिये, पर्यटक अतिथियों को सदैव आकर्षित करते रहे हैं। 



देशभर में बंगाल से सर्वाधिक पर्यटक पहुंचते हैं राजस्थान 


रतनू के अनुसार देशभर में घरेलू पर्यटकों (डोमेस्टिक) मेें सबसे अधिक बंगाल से ही राजस्थान भ्रमण पर जाते है। बंगाली एवं नॉथ इस्ट पर्यटकों की खासियत यह है कि वे राजस्थान के प्रत्येक दर्शनीय स्थल (मोन्यूमेंट्स) को कैमरे में छवि के रुप में तो देखते ही है इसके साथ-साथ कलमबद्ध करते हैं एवं आने वाली पीढ़ी तक राजस्थान के इतिहास एवं संस्कृति, कला, साहित्य, पुरा वैभव को हस्तांरित करते हैं। यह खासियत अन्य पर्यटकों में कम ही देखने को मिलती है। आरटीडीसी इस हेतू बंगाल एवं राजस्थान को जोडऩे का अथक प्रयास कर रहा है एवं इस बाबत् राजस्थान एवं बंगाल के बीच सेतू का कार्य कर रहा है। रतनू ने विश्व पर्यटन दिवस के इस शुभ अवसर पर बंगाल एवं नॉथ इस्ट से राजस्थान पधारने वाले सभी अतिथि पर्यटकों का स्वागत गीत 'केशरिया बालम आओ सा पधारो म्हारे देस' से करते हुए अतिथि देवो भव: की भावना को प्रदर्शित करते एवं वसुधैव कुटुम्बकम से पर्यटन दिवस की बधाई देता हूं।