उत्तराखण्ड के लोक पर्व 'हरेला' के मौके प्लांटेशन कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश




सीके न्यूज/छोटीकाशी। राजस्थान में बीकानेर स्थित बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय [बीटीयू] में शुक्रवार को उत्तराखण्ड के लोक पर्व हरेला के पर्व को विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण कर मनाया गया। बीटीयू के सहायक जनसम्पर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि इस पर्व के उपलक्ष्य में कुलपति प्रो डॉ अम्बरीश शरण विद्यार्थी, निदेशक अकादमिक डॉ यदुनाथ सिंह एवं विश्वविद्यालय के शैक्षणिक अधिकारियों द्वारा पौधारोपण किया गया। प्रो विद्यार्थी ने हरेला पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हरेला का अर्थ हरियाली से है इस दिन सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की कामना की जाती है। ऋ ग्वेद में भी हरियाली के प्रतीक हरेला का उल्लेख किया गया है। देहरादून-उत्तराखंड में सुख, समृद्धि और खुशहाली का पर्व हरेला हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं, हरेला पर्व के साथ ही श्रावण मास की शुरुवात हो जाती हैं। हरेला पर्व पर्यावरण संरक्षण का त्यौहार है। ऋ ग्वेद में भी हरियाली के प्रतीक हरेला का उल्लेख किया गया है। ऋ ग्वेद में लिखा गया है कि इस त्यौहार को मनाने से समाज कल्याण की भावना विकसित होती है। आज का युवा जिस तरह से पुराने त्योहारों को भूलता चला जा रहा है उस बीच हरेला त्यौहार की प्रसिद्धि आज की युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोडऩे का काम भी कर रही है। ऐसे त्यौहार अगर समय.समय पर मनाते जाएं तो युवा भी अपनी संस्कृति के प्रति रुझान करेंगे और युवा पीढ़ी भविष्य में इसके महत्व को भी समझ सकेगी। निदेशक अकादमिक डॉ यदुनाथ सिंह ने कहा कि वृक्ष एक तरह से संतान की तरह ही मानव की उम्रभर सेवा करते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। यदि प्रकृति को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाए तो कदापि गलत नहीं होगा। पेड़ों पर प्रकृति निर्भर करती है। पेड़ लगाना प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन है और प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है। शास्त्रों में लिखा गया है कि एक पेड़ लगाने से एक यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। पद्म पुराण में तो यहां तक लिखा है कि जलाशय (तालाब/बावड़ी) के निकट पीपल का पेड़ लगाने से व्यक्ति को सैंकड़ों यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। केवल इतना ही नहीं भारतीय संस्कृति में एक पेड़ लगानाए सौ गायों का दान देने के समान माना गया है।