शाकाहारियों की पोषण सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान -कुलपति प्रो. आर.पी. सिंह
बीकानेर,17 जुलाई {CK NEWS/CHHOTIKASHI}। विश्व बैंक-आईसीएआर द्वारा वित्त पोषित, राष्ट्रीय उच्च शिक्षा परियोजना, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर के तत्वावधान में “गर्म और शुष्क क्षेत्र की स्थायी फसल प्रणाली में दलहन की भूमिका पर” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया वेबीनार में संरक्षक के रूप संबोधित करते हुए माननीय कुलपति प्रो आर.पी. सिंह, ने बताया की कठोर जलवायु परिस्थितियों में अविश्वसनीय अनुकूलन के कारण दलहन किसी क्षेत्र की फसल प्रणाली का एक अभिन्न अंग हैं। तेजी से विकास, जल्दी परिपक्वता और मिट्टी की उर्वरता को बहाल करने की क्षमता फलियां और दलहन को शुष्क क्षेत्र के लिए मूल्यवान फसल बनाती है। खराब मौसम के अलावा, बेहद खराब भूजल संसाधनों, कम जैविक सामग्री, खराब उर्वरता और मिट्टी की खराब जल धारण क्षमता से स्थिति और भी बढ़ जाती है। दालें प्रोटीन और खनिजों का समृद्ध स्रोत हैं और इसलिए अनाज आधारित मानव आहार की पूरक हैं और शाकाहारियों की पोषण सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। दालें अंकुरित अनाज के रूप में खाए जाने वाले शाकाहारी भोजन का अभिन्न अंग हैं। भारत विश्व में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 29 प्रतिशत और उत्पादन 19 प्रतिशत है। भारत ने 2020-21 के दौरान 25.58 मीट्रिक टन का रिकॉर्ड दाल उत्पादन हासिल किया है। दालों के अलावा, भारत क्लस्टरबीन का भी सबसे बड़ा उत्पादक है; जो मुख्य रूप से उद्योग में गैलेक्टोमैनन गम निकालने के लिए खपत होती है। ग्वार गम का उपयोग खाद्य प्रसंस्करण, सौंदर्य प्रसाधन, कपड़ा और कागज उद्योग, फार्मास्यूटिकल्स, विस्फोटक और पेट्रोलियम कुओं की ड्रिलिंग में किया जाता है। गोंद निकालने के बाद इसके उपोत्पाद का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। इस वेबिनार का उद्देश्य, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दलहन की स्थिति और विस्तार के बारे में छात्रों, उद्यमियों और अभिनव किसानों के बीच जागरूकता पैदा करना है। । वर्चुअल कार्यक्रम के संयोजक डॉ. एन.के. शर्मा,अतिरिक्त निदेशक (बीज) ने अंतरराष्ट्रीय वेबिनार की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया की वेबीनार के अध्यक्ष डॉ आर. सी. अग्रवाल, राष्ट्रीय निदेशक (एनएएचईपी) और डीडीजी (शिक्षा) आईसीएआर और मुख्य अतिथि डॉ. एस के मल्होत्रा, आयुक्त कृषि, भारत सरकार, नई दिल्ली रहे। वेबीनार में कुल 34 देशों के 3340 प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं में डॉ पी.एन. माथुर द्वारा जलवायु परिवर्तन और इंडो अफ्रीकन पार्टनरशिप प्रोग्राम के संदर्भ में- ओरफन लेग्यूम्स को बढ़ावा देना, डॉ एन पी सिंह ,निदेशक आईसीएआर द्वारा स्थायी सतत उत्पादन के लिए दलहन में तकनीकी प्रगति, वैश्विक परिदृश्य में चना डॉ. पी.एम. गौड़ के विशेष संदर्भ के साथ। डॉ संजय पारिख ने गोंद उद्योग में ग्वार सीड का दायरा और क्षमता ।इंजी. आशीष के अग्रवाल द्वारा खाद्य उद्योग में दालों का उपयोग पर व्याख्यान दिया।
“प्लेटिनम जुबली वर्ष”वर्चुअल कार्यक्रम में सहभागिता निभाई :
कुलपति ने श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर जयपुर के संघटक महाविद्यालय कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय जोबनेर के प्लेटिनम जुबली वर्ष के शुभारंभ एवं वर्षा जल आधारित नवनिर्मित तालाब (ज्वाला सागर) के ऑनलाईन लोकार्पण के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इस वर्चुअल कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यपाल कलराज मिश्र और अध्यक्ष मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विशिष्ट अतिथि कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया और महानिदेशक (आईसीएआर) त्रिलोचन मोहपात्रा सहित विश्वविद्यालयों के कुलपति व कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे ।