बीकानेर के पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की कमी, कोरोना से मंदी की मार झेल रहे : हवेलियों पर वर्चुअल चर्चा





बीकानेर (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। राजस्थान में बीकानेर की हवेलियों व विरासत स्थलों पर वर्चुअल चर्चा की गई। चर्चा के दौरान तथ्य सामने आया कि कोरोना काल में एक वर्ष से अधिक समय से देशी-विदेशी पर्यटकों के बीकानेर नहीं पहुंचने, शहर के बीचों बीच हवेली विरासत रुप में चल रही भंवर निवास हैरिटेज होटल, लालगढ़ पैलेस, लक्ष्मी निवास, नरेन्द्र भवन, बाहरी इलाके की गज केसरी सहित अन्य विरासतकालीन होटलों, जूनागढ़ सहित अनेक पर्यटन स्थलों में पर्यटकों कमी, कोरोना से मंदी की मार झेल रहे है। गजकेसरी व भंवर निवास के प्रोपराइटर व प्रमुख होटल व्यावसायी सुनील रामपुरिया ने चर्चा में बताया कि मार्च 2020 से विदेशी क्या देशी पर्यटकों ने भी कोरोना के भय से पांच शताब्दी से अधिक प्राचीन, कला, साहित्य व संस्कृृति तथा पुरामहत्व के लोकप्रिय विरासत के इस नगर में नहीं पहुंचे। साल भर से प्यासे पपहिये की तरह होटल पर्यटकों की राह देखते रहे, लेकिन उनकी आशा, निराशा में ही बदली। दूसरी बार कोरोना की लहर होटल व्यवसाय की कमर तोड़ रही है। न शादी व सगाई, ना घूमने फिरने का मानस। शादी व होटलों में ठहरने वालों, कार्य करने वालों की कोरोना  टेस्ट सहित विभिन्न तरह की सरकारी पाबंदियों ने होटल व्यवसाय को ठप्प सा कर दिया। वर्चुअल बताया गया कि कई विरासत कालीन होटल व स्थल घाटे में चल रहे है। इनके रख-रखाव, कर्मचारियों के वेतन चुकारा करना भी भारी पड़ रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने तथा विरासत को सुरक्षित रखने के लिए बड़ी धन राशि खर्च कर रही है। लेकिन पिछले वितीय वर्ष में कोरोना के कारण पर्यटन को बढ़ावा देने तथा पर्यटन स्थलों के संवद्र्धन के लिए कुछ भी खर्च नहीं किया गया। राज्य सरकार की ओर से पर्यटन व विरासत स्थलों में मंदी को देखते हुए तत्काल राहत राशि प्रदान करने की दरकार है। लाखों रुपये जीएसटी व अन्य टैक्स सरकार को देने वाली विरासत कालीन होटलों, पर्यटन स्थलों में आर्थिक सहायता नहीं देने पर मजबूरन होटल मालिकों को कर्मचारियों की छंटनी, सेवा सुविधाओं व रख.रखाव, सौन्दर्यकरण में कमी करनी पडेंगी, जिसका विपरीत असर आने वाले कल मेंं बीकानेर के पर्यटन उद्योग पर पड़ेगा। वरिष्ठ सांस्कृतिक पत्रकार शिवकुमार सोनी ने बताया कि सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक दिनेश चन्द्र सक्सेना ने कहा कि राजस्थान के अनेक जिलों की तुलना में बीकानेर पर्यटन, कला व संस्कृृति की दृृष्टि से समृद्ध है। बीकानेर के राजप्रसाद, हवेलियां, जैन व सनातन धर्म से जुड़े विभिन्न करणी माता सहित देवी देवताओं के मंदिर, स्मारक अनमोल विरासत है। बीकानेर की इस विरासत को अक्षुण्ण रखना सरकार और सभी नगरवासियों का दायित्व है। स्वतंत्र वरिष्ठ लेखक रतन सिंह रघुवंशी ने कहा कि राजनीतिक व प्रशासनिक असक्षमताओं के कारण समृृद्ध बीकानेर पर्यटन की दृृष्टि से पिछड़ा हुआ है। बीकानेर के विरासत के संरक्षण व संवद्र्धन के लिए केन्द्र व राज्य सरकार स्तर पर ठोस कार्य करने की आवश्यकता है।