मंत्रों का अचिंत्य प्रभाव सदैव साथ रहता है : साध्वीजी भव्यगुणाश्रीजी / साध्वीजी भव्यगुणा श्रीजी मसा. के महान चमत्कारी मंत्रों की महामांगलिक आयोजित








बेंगलूरु। मंत्रों में देवी-देवताओं की शक्ति समाई होती है, सफलता पाने के लिए, आगे बढने के लिए या सर्वरोग, बाधा, संकट काटने के लिए दिव्य मंत्रों की महामांगलिक के श्रवण अथवा सामूहिक जाप से निश्चित ही लाभ मिलता है। यह कहा ज्योतिष ज्योति, समता साधिका साध्वीजी भव्यगुणाश्रीजी म.सा. ने। वे तुलसी टोटा रोड, बल्लेपेट स्थित श्री खेतेश्वर भवन में शनिवार को बेंगलूरु में अपने पांचवे चमत्कारिक महामांगलिक अवसर पर बोल रहीं थीं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति जिस देव शक्ति के लिए श्रद्धा और आस्था मन में बना लेता है उस देवता से जुडी सभी शक्तियां, प्रभाव और चीजें उसे मिलने लगती है। शहर के आठ गुरुभक्तों क्रमशः विजयराज कमलाबाई गादिया, मनोजकुमार शांतिलाल परमार, मगनलाल सरेमल नागोत्रा सोलंकी, श्रीमती सूरजदेवी स्व.रमेशचंद परमार, कमल कांतिलाल, श्रीमती शांतिबाई भूरमल भंडारी, मीनाबेन अशोककुमार सोनीगरा व महावीरचंद भबूतमल सोनवाडिया मूथा परिवारों के सौजन्य से यह महामांगलिक का आयोजन किया गया। इस महामांगलिक कि लाभार्थी परिवारों का श्रीलेखेंद्र भव्य शीतल चातुर्मास महासमिति-2021 कंटोनमेंट-बेंगलूरु के पदाधिकारियों क्रमशः मोहनराज बोहरा, गौतमचंद संचेती, मनोहरलाल गुलेच्छा, वसंतराज भंसाली, पारस भंसाली, सुनीलकुमार कुंकुलाल, नरेंद्र दुदेडिया, गौतम लुणिया, रोशनलाल गोखरु, मोतीलाल संचेती, श्रीवंसराज बोहरा, देवेंद्र तातेड, श्रीमती अनीता भंसाली, श्रीमती मधु तातेड व श्रीमती अरुणा कानुंगा द्वारा सम्मान भी किया गया। इस दौरान साध्वीजी भव्यगुणाश्रीजी ने कहा कि देवशक्तियां जाग्रत, आत्मिक और भौतिक शक्तियों से संपन्न मानी गई है। गुरुकृपा एवं इष्टसिद्धि से प्राप्त सिद्ध मंत्रों के उच्चारण की शक्तियां साधक को सिद्ध बना देती है, जिसे एक नियत समय पर परोपकार एवं श्रेष्ठ उद्देश्य के लिए विधिपूर्वक किया जाए तो श्रोताओं के संकटों का हरण कर जनकल्याण होता है व श्रद्धालुओं को सिद्धि-समृद्धि भी प्राप्त होती है। साध्वीश्री भव्यगुणाश्रीजी ने कहा कि मंत्रों का अचिंत्य प्रभाव हमेशा साथ रहता है। सर्वसिद्धि प्रदायक, मंगलदायक, सर्वशांतिकारक, उपद्रव-रोग-संकटनाशक चमत्कारिक महामांगलिक की विशेषताओं का उल्लेख भी किया। सर्वप्रथम भूमि शुद्धि करते हुए प्रक्ष्याल, दसों दिशाओं के देवी-देवताआंे के वंदन, क्षेत्रपाल देवता के आह्वान व श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ दादा से करुणा बरसाने की प्रार्थना व क्षमापना संकल्प विधि मंत्रोच्चारण के साथ लाभार्थी परिवारों के माध्यम से करवाई गई। इससे पूर्व मधुरभाषी साध्वीजी शीतलगुणाश्रीजी म.सा. ‘स्नेही’ ने कहा कि व्यक्ति को सदैव खान-पान में संयम बरतना चाहिए। उन्होंने कहा कि कम खाना, गम खाना, नम जाना और सह जाना तथा झुकने वाला व्यक्ति परमात्मा के दरबार में स्थान पाता है। उन्होंने कहा व्यक्ति को सदैव हर दृष्टिकोण से संयमित ही रहना चाहिए। इस अवसर पर सभी का स्वागत श्रीलेखेंद्र भव्य शीतल चातुर्मास महासमिति के पारस भंसाली ने किया। लाभार्थी परिवारों ने साध्वीजी को कामली भी वोराई। गुरुभक्त भेंरुभाई द्वारा गुरुवंदन किया गया। अनेक लाभार्थी परिवारों ने आरती की। सर्वसमाज के काफी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को सिद्ध मंत्रों से अभिमंत्रित वासक्षेप प्रदान किया गया। भरत सोनिगरा ने संचालन किया।