बीकानेर, 02 जनवरी (छोटीकाशी डॉट पेज)। देशभर के ब्राह्मणों को एकजुट करने में जुटे विप्र फाउंडेशन (विफा) के संस्थापक संयोजक सुशील ओझा ने विप्र फाउंडेशन के निर्णय पर कार्य करते हुए अपने ब्रह्मलीन पिता कोडाराम ओझा के देहावसान पर मृत्यु महाभोज नहीं कर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। शनिवार को उन्होंने बीकानेर से बताया कि संस्था के इस फैसले से जब परिवारजनों को अवगत कराया गया तो सभी ने सर्वसम्मति से इसे सहर्ष स्वीकार किया। सुशील ओझा ने विधि विधानपूर्वक परंपराओं का निर्वाह करते हुए देश के ग्यारह पवित्र स्थानों श्री जग्गनाथ पुरी, रामेश्वरम, तीर्थराज पुष्कर, श्रीकोलायत सरोवर, स्वर्गाश्रम ऋषिकेश, वाराणसी, पुण्यानन्दजी आश्रम दिल्ली, बाँसवाड़ा, रामदेवरा, नोखा में अपने पिता के निमित्त भण्डारे का आयोजन किया। इस मौके पर नागौर के मेड़ता स्थित कुलदेवी के प्राचीन ब्रह्माणी माता मन्दिर में जारी जीर्णोद्धार कार्य में सहयोग हेतु भी ओझा परिवार संकल्पित हुआ। परिवार के मुखिया शिवदत्त ओझा ने बताया कि सुशील ओझा की भावनाओं को समझते हुए हमने ऐसा निर्णय लिया जिस पर हमें गर्व है। भँवर पुरोहित ने बताया कि ब्राह्मण समाज की अग्रणी संस्था विप्र फाउंडेशन ने मृत्यु पर होते आ रहे महाभोज को अनावश्यक मानते हुए इसे बन्द कर आध्यात्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार का अभियान छेड़ रखा है जिसे देश भर में भारी समर्थन मिल रहा है। हमें खुशी है लोग इसे व्यवहार में लाने लगे हैं।
विफा के निर्णय पर सुशील ओझा अटल : मृत्यु पर महाभोज नहीं कर 11 तीर्थस्थानों पर ब्राह्मण भोजन, कुलदेवी मन्दिर जीर्णोद्धार का संकल्प