न्यूजडेस्क। 8 जून को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के लोगों को वर्चुल रैली के माध्यम से संबोधित किया। यानि अमित शाह तो दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में कैमरे के सामने खड़े थे और बंगाल के लोगों ने बड़ी बडी स्क्रीन लगाकर सैटेलाइट तकनीक से शाह का भाषाण सुना। शाह का भाषण अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए बंगाल में व्यापक व्यवस्थाएं की गई थी। चूंकि शाह का भाषण अधिकांश न्यूज चैनलों पर लाइव प्रसारित हुआ इसलिए लोगों में घरों पर बैठ कर ही भाषण सुना। शाह ने मजाकिया लहजे में कहा कि गत लोकसभा के चुनाव में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मेरा हेलीकॉप्टर उतरने नहीं दिया और न ही मुझे कोलकाता में रैली करने दी। लेकिन अब ममता बनर्जी क्या करेंगी, मैं तो वर्चुल रैली की तकनीक से आम बंगालियों से जुड़ गया हूूं। शाह ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री के बाद देश में नरेन्द्र मोदी सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री साबित हुए हैं। कोरोना वायरस के शुरुआत में जब 22 मार्च को मोदी ने जनता कफ्र्यू का आव्हान किया तो लोग अपने घरों से नहीं निकले। देश भर में कहीं भी कफ्र्यू के लिए पुलिस का बंदोबस्त नहीं करना पड़ा। राजनीति के अनेक पंडितों का कयास होता है कि नरेन्द्र मोदी को देश की 70 प्रतिशत जनता चाहती है। कुछ पंडित 50 प्रतिशत का आंकड़ा बताते हैं। लेकिन मैं दावे से कह सकता हंू कि देश की 130 करोड़ जनता नरेन्द्र मोदी के पक्ष में खड़ी है। कोरोना वायरस का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि पहले की सरकारें भी ऐसी आपदाओं से लड़ती थी, लेकिन नरेन्द्र मोदी ने सरकार के साथ साथ देश की जनता को भी कोरोना वायरस के खिलाफ खड़ा कर दिया। मोदी ने जो निर्णय लिए उसी का परिणाम है भारत में कोरोना से मृत्यु दर बहुत कम है। पहले लोगों की जान बचाई और अब धीरे धीरे देश की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाया जा रहा है। शाह ने कहा कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मात्र एक वर्ष में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया, तो मुस्लिम महिलाओं को शोषण से बचाने केे लिए तीन तलाक पर कानून बनाया गया। आजादी के बाद से लटकी पड़ी समस्याओं का समाधान किया गया। शाह ने कहा कि नागरिकता कानून में संशोधन का विरोध करने की कीमत पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को चुकानी पड़ेगी। शाह ने कहा कि ममता की वजह से बंगाल के लोगों को केन्द्र की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। ममता ने केन्द्र की आयुषमान भारत बीमा योजना को बंगाल में लागू नहीं किया। इसी प्रकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ भी बंगाल के किसानों को नहीं लेने दे रही है। यदि टीएमसी की सरकार पात्र किसानों की सूची उपलब्ध करवा दे तो बंगाल के किसानों को भी 6 हजार रुपए प्रतिवर्ष मिलने शुरू हो जाएंगे। ममता ने बंगाल में जो तानाशाही पूर्ण रवैया अपना रखा है उसकी वजह से बंगाल के लोगों को अब कम्युनिस्ट भी अच्छे लगने लगे हैं। कम्युनिस्टों के तीस वर्ष के शासन में हुए जुल्मों से निजात पाने के लिए बंगाल के लोगों ने ममता को सत्ता सौंपी थी। लेकिन ममता ने जुल्म करने में कम्युनिस्टों को पीछे छोड़ दिया। बंगाल के लोगों ने कांग्रेस, कम्युनिस्ट और ममता का शासन देख लिया है। एक बार भाजपा को भी अवसर दिया जाना चाहिए। कोरोना काल में हुई बदइंतजामियों पर जब भाजपा ने ऐतराज किया तो ममता ने कहा कि भाजपा के नेता राज संभाल ले। शाह ने कहा कि बंगाल की जनता जल्द ही ममता बनर्जी की इस इच्छा को पूरा कर देगी। मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं।
(साभार: एसपी.मित्तल)
लाल बहादुर शास्त्री के बाद सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं नरेन्द्र मोदी, ममता की तानाशाही की वजह से अब पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट भी अच्छे लगने लगे हैं!