क्या राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर किसी निर्दलीय अथवा कांग्रेस के विधायक से भाजपा के नेताओं ने सम्पर्क किया?


 


कांग्रेस के दोनों उम्मीदवारों की जीत तय,  पत्रिका की खबरों के तीन हैडिंग और कार्टून से राजस्थान की तस्वीर साफ।


न्यूजडेस्क। राजस्थान पत्रिका के 10 जून के अंक में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट का बयान छपा है। पायलट के बयान की खबर का हैडिंग है भाजपा बेवजह का भ्रम फैला रही है, चिंता की बात नहीं है। पायलट के बयान के पास ही सीएम अशोक गहलोत के बयान वाली खबर का हैडिंग है-केन्द्र का ध्यान कोरोना के बजाए सरकारें गिराने पर। इसी बयान के साथ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का बयान है। पूनिया के बयान का हैडिंग है-यह सरकार तो खुद ही हिट विकेट हो जाएगी। इन तीनों बयानों के पास ही पत्रिका का लोकप्रिय कार्टून झरोखा है। झरोखा में लिखा है- बजरी माफिया का दुस्साहस। एसडीएम के सामने उनके चालक पर चढ़ाया ट्रेक्टर, मौत। कार्टुनिस्ट अभिषेक के तोते की प्रतिक्रिया है-नपुंसक व्यवस्था! चलो माना कि कार्टुनिस्ट के पास  तो विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार है, लेकिन पायलट साहब यह बताए कि उनकी पार्टी के सीएम के बयान का क्या अर्थ है? भाजपा के तो किसी भी नेता ने नहीं कहा कि राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर निर्दलीय अथवा कांग्रेस के विधायकों से सम्पर्क किया जा रहा है। इसी प्रकार अभी तक किसी भी निर्दलीय विधायक और कांग्रेस के विधायक ने नहीं कहा कि भाजपा के किसी नेता ने सम्पर्क किया है। तो फिर गहलोत किस आधार पर कह रहे हैं कि केन्द्र की ओर से सरकार गिराने की कोशिश की जा रही है। पायलट माने या नहीं, लेकिन भ्रम तो बार बार सीएम गहलोत ही फैला रहे हैं। अब सचिन पायलट को यह पता करना चाहिए कि गहलोत ऐसा क्यों कर रहे हैं? जब प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते पायलट कह रहे हैं कि चिंता की कोई बात नहीं है तो गहलोत को आशंका क्यों है? जहां तक राज्यसभा चुनाव का सवाल है तो राजस्थान में कांग्रेस की स्थिति बहुत मजबूत है। 200 विधायकों में से कांग्रेस के 107 विधायक है जो पार्टी के दोनों उम्मीदवारों को आसानी से जीता सकते हैं। इसके अलावा कांग्रेस को सभी 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। अशोक गहलोत की सफलता इससे ज्यादा और क्या हो सकती है कि 13 निर्दलीय विधायकों में से भाजपा के एक भी विधायक नहीं है। 13 निर्दलीय विधायक पूरी तरह गहलोत सरकार के साथ हैं। बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल होकर अपने हाथ और जुबान पहले ही कटवा चुके है। राजस्थान में गहलोत की सरकार गिराने के लिए भाजपा को कम से कम 35 विधायकों का जुगाड़ करना पड़ेगा। मौजूदा समय में यह संभव नहीं है। दिसम्बर 2018 में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद अशोक गहलोत ने कांग्रेस की सरकार को बहुत मजबूत कर लिया है। भाजपा को कर्नाटक और मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में सफलता नहीं मिल सकती है। राज्यसभा चुनाव में भले ही भाजपा ने चौथा उम्मीदवार मैदान में उतार मतदान की स्थिति ला दी हो, लेकिन भाजपा भी राजनीति के गणित को अच्छी तरह समझती है। 
(साभार : एसपी.मित्तल)