छोटीकाशी डॉट पेज। नई दिल्ली। किस नदी में किस समय स्नान करने से उसका लाभ होता है, इसका संपूर्ण ज्ञान भारतीय ऋषि-मुनियों को था। इसलिए उन्होंने गहन अध्ययन कर गंगा नदी में पर्वस्नान करने हेतु बताया है। माघ मकर संक्रांति के पश्चात सूर्य मकर राशी में प्रवेश करता है। मकर रेखा प्रयागराज के सर्वाधिक निकट है। इसलिए इस समय गंगा नदी में पडऩे वाली सूर्य किरणों में अतीनील किरणें सर्वाधिक होती है। उसका लाभ मिलकर स्नान करने वालों की प्रतिकारक शक्ति बढती है। इस प्रकार नदी में स्नान करने की अवधारणा पाश्चात्त्यों में नहीं है। गंगाजल में 'बॅक्टीरियोफेज' नामक विषाणु है, वह श्वसनसंस्था पर आक्रमण करनेवाले कोरोना जैसे विविध जीवाणुओं को भी मारता है, ऐसा सिद्ध हुआ है । इसलिए 'गंगाजल' कोरोना जैसे विविध विषाणुओं के प्रादुर्भाव से मुक्ति देता है तथा रोगप्रतिकारक शक्ति बढाने के लिए उपयुक्त सिद्ध होता है। यह बात उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायमित्र अधिवक्ता अरुणकुमार गुप्ता ने शुक्रवार को हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित 'ऑनलाइन चर्चा सत्र महामारी और प्रदूषण पर उपाय:सनातन परंपरा' में बोल रहे थे। इस ऑनलाइन चर्चा सत्र में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, 'ग्रीन इंडिया फाउण्डेशन ट्रस्ट' के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश चौधरी, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर तथा सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस सहभागी थे। समिति के देहली समन्वयक कार्तिक साळुंखे ने चर्चा सत्र का सूत्र संचालन किया। अधिवक्ता गुप्ता बोले कि, कुंभ मेले में जब नदी में हिन्दूू सामूहिक स्नान करते हैं, तब एक हिन्दू के शरीर का प्रोटीन दूसरे के शरीर में प्रवेश करता है। इससे शरीर में विशिष्ट प्रक्रिया होकर हिन्दुुओं की रोग प्रतिकार शक्ति बढती है। यह बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के अध्ययन में सिद्ध हुआ है। 'स्वदेशी और सस्ती वस्तुओं का उत्पादन' का आह्वान प्रधानमंत्री ने किया है । गंगाजल औषधि होने के कारण उससे स्वदेशी और सस्ती औषधियों की निर्मिति सहज संभव है। समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने बताया कि इस ऑनलाइन विशेष चर्चासत्र का प्रसारण फेसबुक, यू ट्यूब लिंक द्वारा किया गया।