बीकानेर, 24 मार्च। हिन्दू धर्म सर्वश्रेष्ठ धर्म है, परंतु दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दू ही इसे समझ नहीं पाते। पाश्चात्यों के अयोग्य और अधर्मी कृत्यों का अंधानुकरण करने में ही अपने आप में धन्य समझते हैं। 31 दिसम्बर की रात में नववर्ष का स्वागत और 1 जनवरी को नववर्षारंभदिन मनाने लगे हैं। हिन्दू जनजागृति समिति के मध्यप्रदेश और राजस्थान समन्वयक आनंद जाखोटिया ने बताया कि नववर्ष 1 जनवरी को नहीं, अपितु हिन्दू संस्कृतिनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानि 25 मार्च 2020 को मनाकर धर्मपालन के आनंद का अनुभव करना चाहिए। इस समय वसंत रितु में वृक्ष पल्लवित हो जाते हैं। उत्साहवर्धक और आल्हाददायक वातावरण होता है, ग्रहों की स्थिति में भी परिवर्तन आता है, ऐसा लगता है कि मानो प्रकृति भी नववर्ष का स्वागत कर रही है। वर्षप्रतिपदा साढे तीन मुहूर्तों में से एक है, इसलिए इस दिन कोई भी शुभकार्य कर सकते हैं इस दिन कोई भी घटिका (समय) शुभ मुहूर्त ही होता है।
धर्मपालन के आनंद का अनुभव करने के लिए हिन्दू संस्कृतिनुसार मनाएं नववर्ष: आनंद जाखोटिया