बीकानेर | शिक्षाविद जगदीशप्रसाद शर्मा 'उज्ज्वल' ने अपना 81 वां जन्मदिन अपने मौहल्ले के बच्चों संग बच्चा बनकर मनाया | जब मौहल्ले के बच्चों को पता चला कि आज सर का जन्मदिन है तो बच्चे धवल, प्रखर, सोनाली, दीक्षा भारद्वाज, लक्की, चीन्टू, नीरू, अरविन्द सियाग, ममता, वसुंधरा सियाग केक लेकर उज्ज्वलजी के घर पहुंच गए और उनसे आग्रह किया कि सर आप अपना जन्मदिन आज हमारे साथ शेयर करें तब 81 वर्षीय सहज बालमन अपने आपको रोक नहीं पाए और देखते ही देखते आस-पास के सभी बच्चे गुरूजी के घर इकट्ठा हो गए | गुरूजी ने पहले तो बच्चों की क्लास ली, उन्हें शिष्टाचार का पाठ पढ़ाते हुए गरीब, असहाय, दीन-हीन की सेवा करने हेतु प्रेरित किया फिर सभी बच्चों के साथ बर्थडे केक काटकर, उनके साथ प्रसाद ग्रहण किया जाते वक्त उन्हें अपना बाल साहित्य भेंटकर नेक चलनी का आशीर्वाद दिया |
ज्ञात रहे जगदीशप्रसाद शर्मा 'उज्ज्वल' का जन्म 3 जनवरी 1939 को मलसीसर जिला झुंझनू में हुआ है | एम.ए. हिन्दी व अंग्रेजी, बी.एड. के बाद कई सारे बच्चों को शिक्षा के माध्यम से उच्च पदों तक पहुंचाने वाले उज्ज्वल की प्रकाशित कृतियाँ है- युग संदर्भ, अभी शेष है, संभावनाओं का सुख (काव्य संग्रह), अनब्याही खामोशी (कहानी संग्रह), युग चेतना के मसीहा प्रेमचंद (जीवनी), नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ.हरगोविंद खुराणा व्यक्तित्व-कृतित्व, हाथ जो कल्पतरु (बालोपयोगी कहानियां)
प्रोफेसर नरपतसिंह सांखला ने राजस्थानी भाषा पोषण मंच से उज्ज्वल का शोल, सम्मानपत्र, अर्पित कर सम्मान किया | सभी बच्चों को उज्जवल ने अपना बाल साहित्य – बालपणे रो उमाव (काव्य संग्रह), काग उडावणी (कहानी संग्रह), सुनहरो सेव और लालमदे-फूलमदे (बाल उपन्यास) भेंटकर इस दिन को बच्चों के नाम किया |