पीबीएम अस्पताल के विकास में योगदान देने वाले भामाशाहों को सम्मानित किया






लोटस डेयरी के अविनाश मोदी, मारवाड़ जन सेवा समिति के रमेश व्यास, सीएम चेरिटेबल ट्रस्ट के डी.पी. पचीसिया भी सम्मानितों मेें शामिल

बीकानेर (CK NEWS/CHHOTIKASHI)। पीबीएम अस्पताल के विकास में योगदान देने वाले भामाशाहों को आचार्य तुलसी कैंसर रिसर्च सेंटर के सभागार में आयोजित समारोह के दौरान सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल थे।  आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के जेठमल बोथरा, शिव किशन मिंडाराम दम्माणी मेडिकेयर ट्रस्ट के श्रीराम सिंघी, हीरालाल चुन्नीलाल सोमानी चेरिटेबल ट्रस्ट के एसके बेरी, दुग्गड़ चेरिटेबल ट्रस्ट के कौशल दुग्गड़, लोटस डेयरी के अविनाश मोदी, सीएम चेरिटेबल ट्रस्ट के डी.पी. पचीसिया, श्री मूलचंद डागा ट्रस्ट अविंत डागा, बालचंद राठी मेमोरियल ट्रस्ट के जुगल राठी, मारवाड़ जन सेवा समिति के रमेश व्यास, द मदर्स केयर्स ट्रस्ट के विष्णु कुमार, मानव सेवा समिति के जगदीश राठी, बीकाजी ग्रुप के शंभू अग्रवाल, खत्री मोदी समाज के दिनेश मोदी और रोग निदान सेवा ट्रस्ट के शिवपाल सिंह का सम्मान किया गया। कलेक्टर भगवती प्रसाद ने कहा कि पीबीएम अस्पताल की ओपीडी में प्रतिवर्ष लगभग 15 लाख तथा आईपीडी में लगभग 1 लाख 80 हजार मरीजों का इलाज किया जाता है। राज्य सरकार द्वारा यहां सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं। उन्होंने कहा कि अनेक भामाशाहों ने पीबीएम अस्पताल की विकास यात्रा में सराहनीय भागीदारी निभाई है। इन भामाशाहों ने नर सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। आगे भी यही जज्बा बना रहे तथा सहयोग देने वाले भामाशाहों को किसी प्रकार की समस्या नहीं हो, इसके लिए प्रशासन की ओर से समन्वय अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।  अतिरिक्त संभागीय आयुक्त एएच गौरी ने कहा कि पीबीएम अस्पताल के विकास के लिए जब कभी आवश्यकता महसूस हुई, यहां के भामाशाहों ने सदैव आगे बढ़कर सहयोग किया। कोविड काल में भामाशाहों द्वारा दिए गए योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। द्वारका प्रसाद पचीसिया ने कहा कि जिला कलक्टर की पहल पर पहली बार सभी भामाशाहों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि बीकानेर के जाए जन्म अनेक भामाशाह अपनी जन्मभूमि के विकास के लिए योगदान देने को तत्पर हैं। पीबीएम अस्पताल अधीक्षक डॉ. पी. के. सैनी ने कहा कि पीबीएम के विकास में भामााशाहों का योगदान यहां की परम्परा का अंग रहा है।