“पश्चिमी राजस्थान के शुष्क क्षेत्र में दबाव सिंचाई प्रणाली से गोभी वर्गीय सब्जियों में कुशल जल प्रबंधन” / प्रोजेक्ट का शुभारंभ




शुष्क-क्षेत्र के किसानों को अधिक उत्पादन वाली किस्में और उपभोक्ताओं को लंबे समय तक उचित मूल्य पर गोभी उपलब्ध हो- कुलपति प्रो आर.पी.सिंह


CK NEWS/CHHOTIKASHI बीकानेर, 27 सितंबर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति  प्रो आर.पी.सिंह  द्वारा पश्चिमी राजस्थान के शुष्क क्षेत्र की स्थितियों में दबाव सिंचाई प्रणाली के माध्यम से "कोल सब्जी में कुशल जल प्रबंधन" पर परियोजना का उद्घाटन किया जो की RKVY RAFTAR (राजस्थान सरकार) द्वारा प्रायोजित है । इस परियोजना के प्रभारी डॉ पी.के. यादव विभागाध्यक्ष बागवानी ने बताया इस परियोजना का विषय “पश्चिमी राजस्थान के शुष्क क्षेत्र में दबाव( बूंद-बूंद) सिंचाई प्रणाली से गोभी वर्गीय सब्जियों में कुशल जल प्रबंधन” है। गोभी की अगेती,मध्यम पछेती किस्में होती है ।इस तीन वर्षीय परियोजना के तहत फूल गोभी की 20 किस्में, पत्ता गोभी की 10 से ज्यादा और गांठ गोभी की 5 से ज्यादा क़िस्मों पर अनुसंधान प्रयोग किया जाएगा इससे राजस्थान के शुष्क क्षेत्र की स्थितियों में कौनसी किस्म कब लगाई जानी चाहिए और पानी की आवश्यकता आदि के बारें में पता लगाया जाएगा। कुलपति प्रो आर.पी.सिंह ने बताया की सब्जियों की खेती किसानों के लिए फायदेमंद व नगदी खेती होती है और उपभोक्ताओं के संतुलित भोजन  आधार भी होती है। किसान खेती को अपना उद्योग बनाकर कम समय में अधिक लाभ कमा सकता है। आम तौर पर फूल गोभी की सब्जी प्राय: सर्दी के मौसम में मिलती है। लेकिन अब इसके उन्नत किस्में आ गई हैं। जिनकी खेती किसान अन्य मौसम में भी करते हैं। ठंड के मौसम में जब शुरुआती दौर में फूल गोभी की सब्जी आती है तो इसकी कीमत सामान्य तौर पर ज्यादा होती है। लेकिन जैसे-जैसे आवक बढ़ती है वैसे-वैसे दाम कम हो जाते हैं। ऐसे में किसानों को बस कुछ दिन तक ही लाभ मिल पाता है। कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी उन्नत किस्मों को विकसित किया है, जिनकी खेती किसान भाई जुलाई के महीने में भी कर सकते हैं। इस परियोजना प्राप्त निष्कर्षों से स्थानीय किसानों को अधिक उत्पादन देने वाली किस्में और उपभोक्ताओं को लंबे समय तक उचित मूल्य पर गोभी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी। इस अवसर पर अनुसंधान निदेशक डॉ पी एस शेखावत, डॉ आई पी सिंह डीन, कृषि महाविद्यालय, डॉ. आर के नारोलिया, डॉ परमेंद्र सिंह चौहान उपस्थित रहे।