बीकानेर में देश-विदेश की 35 किस्मों पर चल रहा है अनुसंधान कार्य, खजूर फल की खुली नीलामी 14 जून को




बीकानेर, 13 जून (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। राजस्थान के बीकानेर स्थित स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अखिल भारतीय शुष्क फुल अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत विगत 40 वर्षों से खजूर उत्पादन पर कार्य चल रहा है। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय स्थित फार्म पर देश  विदेश की 35 किस्मों पर अनुसंधान कार्य चल रहा है। अनुसंधान फार्म के प्रभारी डॉ ए.आर. नकवी ने रोचक जानकारी साझा करते हुए बताया कि कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान फार्म में अभी खजूर की फसल पकान की अवस्था में आने को तैयार है और प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी ट्रेन फलों की खुली नीलामी 14 जून को रखी गई है। इस प्रकार कुछ ही दिनों में शहर एवं क्षेत्र के निवासियों को खजूर पौष्टिक फल खाने को मिलेंगे। खुली नीलामी संबंधी जानकारी के लिए संयुक्त निदेशक अनुसंधान डॉ एस आर यादव (मो. 9509615536) से संपर्क किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि खजूर प्राचीनतम फल वृक्षों में से एक महत्वपूर्ण फल वृक्ष है। इस फल की प्रति इकाई से अधिकतम ऊर्जा प्राप्त होती है। अगर इसके उपयोग की बात की जाए तो इसे कच्चे फल के रूप में और पिंड खजूर‌ एवं छिवारा के रूप में खाया जाता है। खजूर की खेती के लिए शुष्क एवं अधिक तापमान की आवश्यकता होती है। ऐसी परिस्थितियां उत्तर पश्चिमी भारतए विशेषतया राजस्थान में होने के कारण राजस्थान को खजूर की खेती के लिए उपयुक्त माना गया है परंतु सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता होनी चाहिए यद्यपि कम गुणवत्ता वाले पानी (खारे पानी) से भी इसकी सिंचाई की जा सकती है। अनुसंधान फ ॉर्म के निष्कर्षों के अनुसार हलानी, बरही, सुनीजी व खलास कच्चे फल खाने के लिए उपयुक्त बताई गई है। खदरावी व सामरान किस्म के पिंड खजूर अच्छे बनते हैं। मेडजूल किस्म छिवारा बनाने के लिए सर्वोत्तम पाई गई है।